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सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव का दिखा काशी में अलग ही रूप, किया बाबा काल भैरव और महामृत्युंजय में दर्शन पूजन

ए0 जावेद

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का काशी में अलग रूप देखने को मिल रहा है। शुक्रवार देर शाम रोड शो के दौरान अखिलेश त्रिशूल और डमरू के साथ लोगों से रूबरू हुए तो आज सुबह उन्होने महामृत्युंजय मंदिर तथा बाबा काल भैरव का दर्शन एवं पूजन कर जीत का आशीर्वाद लिया। माना जा रहा है कि इससे सपा हर हाल में हिंदू मतों में सेंधमारी करने की कोशिश करेगी।

54 सीटों पर होने वाले चुनाव में जातीय समीकरण बहुत मायने रखने वाला है। यही कारण है कि जिस पार्टी को जहां मौका मिल रहा है, वह जातीय समीकरण को साधने में लगी हैं। अखिलेश भी इसमें पीछे नहीं हैं। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रोड शो के दौरान काशी विश्वनाथ धाम में डमरू बजाया तो वहीं सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसके जवाब में हाथ में बाबा का त्रिशूल और डमरू लेकर काशी की जनता का दिल जीतने की पूरी कोशिश किया। इसके बाद शनिवार सुबह काशी के मंदिरों में मत्था टेका। महामृत्युंजय मंदिर और बाबा काल भैरव के दरबार में हाजरी लगाकर यूपी चुनाव में जीत का आशीर्वाद सपा मुखिया ने मांगा। इस दौरान सपा के दक्षिणी प्रत्याशी किशन दीक्षित और बड़ी संख्या में सपा समर्थक व कार्यकर्ता भी उनके साथ मौजूद रहे।

अखिलेश ने कालभैरव मंदिर में विधिवत दर्शन-पूजन कर बाबा का आशीर्वाद लिया। इसके बाद अखिलेश यादव कालभैरव मंदिर से महामृत्युंजय  मंदिर तक पैदल ही गए। उन्होंने दर्शन-पूजन कर बाबा का चरणामृत ग्रहण कर आशीर्वाद लिया। इसके बाद मंदिर परिसर का भ्रमण किया। सपा कार्यकर्ताओं में अखिलेश यादव से मिलने और उनके साथ सेल्फी लेने की होड़ मची थी। सपा प्रमुख ने भी पार्टी के कार्यकर्ताओं का गर्मजोशी से अभिवादन किया और विधानसभा चुनाव 2022 में पूर्ण बहुमत से उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार आने की बात कही।

काशी के कोतवाल कहे जाने वाले  बाबा काल भैरव मंदिर की गलियों में अखिलेश यादव ने स्थानीय लोगों से मुलाकात भी की। इससे पहले शुक्रवार रात अखिलेश यादव ने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे थे। उन्होंने विधिवत दर्शन- पूजन कर बाबा से जीत का आशीर्वाद लिया। आज शाम चुनाव प्रचार खत्म होने से पहले अखिलेश पूर्वांचल की अलग-अलग जिलों में जनसभा को संबोधित कर चुके है। अखिलेश यादव का यह रूप जनता को कितना पसंद आया है ये तो 10 मार्च को मालूम चलेगा, मगर जिस प्रकार से अखिलेश अपनी सभा और रोडशो में भीड़ को आकर्षित करते रहे है, वह भाजपा के लिए कड़ी टक्कर दिखाई दे रही है।

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