तारिक़ आज़मी
डेस्क: कर्नाटक से उठकर पुरे देश में चल रहे हिजाब प्रकरण और इस मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुवे अब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी मामले में दाखिल हो गया है। बोर्ड ने कर्नाटक कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को इस्लाम के आधार पर चुनौती देते हुवे कहा है कि हाईकोर्ट ने कुरान और हदीस की गलत व्याख्या की है। बताते चले कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड 1973 में गठित एक गैर-सरकारी संगठन है। यह देश में मुस्लिमों के पर्सनल लॉ की सुरक्षा व अन्य मुस्लिम हितों की रक्षा के लिए कार्यरत है।
इसके पहले पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को लेकर राज्य की मुस्लिम लड़कियों के साथ खड़े होने का एलान किया था। मलप्पुरम राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद की बैठक में पारित प्रस्ताव की जानकारी देते हुए पीएफआई ने गत शुक्रवार को मुस्लिम धार्मिक प्रतीकों पर कथित प्रतिबंध की निंदा भी किया था। पीएफआई ने एक बयान में कहा था कि, ‘कर्नाटक की भाजपा सरकार का सिर्फ मुस्लिम धार्मिक प्रतीकों पर रोक लगाना साफ करता है कि इसका विभाजनकारी राजनीतिक उद्देश्य है। दुर्भाग्य से हाईकोर्ट भी यह देखने में असफल रहा और उसने एक ऐसी प्रथा के खिलाफ फैसला लिया जिसका उपयोग मुस्लिम महिलाएं कई सदियों से करती आ रही हैं।’
बयान में आगे कहा गया कि हिजाब पर प्रतिबंध को वैध बताने वाला कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला हमारे देश के संविधान के मूल्यों और धार्मिक स्वतंत्रता के वैश्विक सिद्धांत के पूरी तरह खिलाफ है। पीएफआई ने कहा कि हाईकोर्ट का यह फैसला देश में सामाजिक बहिष्कार को और बढ़ावा देगा और धार्मिक उत्पीड़न का एक और बहाना बनेगा।
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