जय हो वाराणसी विकास प्राधिकरण: न खाता न बही, न नियम, हरे पत्ते है क्या साहब, जो अवैध निर्माण भी दिखता है सही, आदमपुर में इतना बड़ा अवैध निर्माण आखिर दिखता क्यों नही विभाग को ?

तारिक़ आज़मी

वाराणसी। वाराणसी विकास प्राधिकरण अक्सर चर्चाओं में रहने की कोई कसर छोड़ता नही है। चर्चा अक्सर ही उसके अच्छे कामो की तो नही होती है। मगर उसके आँखों पर बंधी पट्टी के कारण ज़रूर हो जाती है। सेटिंग गेटिंग का खेल इस विभाग का काफी न्यारा है। कहा जाता है कि इस विभाग को सेटिंग गेटिंग ही प्यारा है। इसका जीता जागता उदहारण आदमपुर क्षेत्र के कोयला बाज़ार इलाके में देखने को मिल रहा है, जहा चुनावी माहोल का लाभ उठाते हुवे अवैध निर्माण में दिनदहाड़े हमारत हासिल किया जा रहा है।

मामला आदमपुर क्षेत्र के कोयला बाज़ार स्थित भवन 24/82 के एक बड़े भाग का है। लबे सड़क कोयला बाज़ार से सलेमपुरा को जाने वाले मार्ग पर एक निजी विद्यालय के सामने ताबड़तोड़ दिन दहाड़े अवैध निर्माण चल रहा है। एक फ्लोर, दो फ्लोर नही साहब, इस चुनावी माहोल में तीन तल्ले ढल गए। चौथा आज सुबह से ही आम जनमानस को परेशान करते हुवे ढाला जा रहा है। पूरी मार्ग पर सीमेंट धुल बनकर उड़ रही है। मशीनों के शोर ने कान के परदे फाड़ने की जद्दोजेहद कर रखा है। मगर ये शोर और धुल शायद वाराणसी विकास प्राधिकरण के जिम्मेदारो को दिखाई नही दे रही है।

इस सम्बन्ध में जब हमने वाराणसी विकास प्राधिकरण के स्थानीय जेई से बात करने का प्रयास किया तो मालूम चला कि जेई साहब सेवानिवृत हो चुके है और अभी तक चार्ज किसी को नही मिला है। स्थानीय भुनिरिक्षक से संपर्क करने का प्रयास किया तो भुनिरिक्षक साहब इतने व्यस्त थे कि उन्होंने फोन तक उठाना गवारा न समझा। इस सम्बन्ध में जब हमने स्थानीय जोनल अधिकारी प्रकाश कुमार से बात करने का प्रयास किया तो वह बड़े ही नर्म स्वाभाव से बोले कि प्रधानमन्त्री की फ्लीट रिसीव करने के लिए आया हुआ हु, थोडा रुक कर मैं स्वयं आपको कॉल करूँगा।

ये स्थिति है विभाग के व्यस्तता की। शायद यही व्यस्तता विभाग की है जो स्थानीय कर्मचारियों को मनोबल देकर इस अवैध निर्माण को वैध करवाने की कोशिश कर रहा है। आप गरीब है, तिनका तिनका जोड़ कर आप अपनी छत पक्की करवाना चाहते है तो आपके दरवाज़े पर यही कर्मचारी इतना आयेगे कि आप खुद परेशान हो जायेगे कि आप वैध काम कर रहे है कि अवैध। मगर आप धनवान है तो आप अवैध कामो को भी धड़ल्ले से करवा सकते है। इसका जीता जागता उदहारण मैंने खुद देखा जब मेरे ही पड़ोस में महज़ 180 वर्ग फिट जगह पर एक गरीब अपना निर्माण करवा रहा था। मैं खुद देखता था कि विकास प्राधिकरण के कर्मचारी उसका जीना दुश्वार किये हुवे है। हर एक दो दिनों में दरवाज़े पर आकर जमकर हड़काना। वैसे इसकी पुष्टि तो उस परिवार ने नही किया है, मगर क्षेत्र में चर्चा है कि आखिर चाय नाश्ते पर बात तय हुई थी।

वही अब इतना बड़ा अवैध निर्माण धड़ल्ले से चल रहा है मगर विभाग के वही कर्मचारी दिखाई नही दे रहे है। इसको आप अंडर टेबल का कमाल कहेगे या फिर कुछ और कि निर्माण भी धड़ल्ले से हो रहा है। मशीने कान फाड़े हुवे है। धुल ने आँखों को अँधा करना की प्रतियोगिता लगा रखा है। उडती सीमेंट ने फेफड़ो को जाम करने की सोच रखा है। मगर विकास प्राधिकरण अभी सो रहा है। विकास प्राधिकरण के कानो में ये आवाज़ नही जा रही है। विकास प्राधिकरण के आँखों में अभी ये धुल नही चुभ रही है। सूत्र बताते है कि स्थानीय कर्मचारी चाय पान नाश्ता क्या पूरी बिरयानी खा चुके है। शायद सूत्र सही भी कह रहे है क्योकि अगर पेट न भरा होता तो मजाल है कोई अवैध एक ईंट भी रख लेता।

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