शाहीन बनारसी
फ़साहत अली खान, शाफिकुर्रह्मान बर्क, डॉ मसूद, सिकंदर अली, अदनान चौधरी, कासिम राइन, मुहम्मद हमजा शेख। ये सभी ऐसे नाम है जो अखिलेश यादव से नाराज़ दिखाई दे रहे है। अखिलेश यादव की नीतियों से नाराज़ मुस्लिम समाज के नेता अब अखिलेश यादव का साथ छोड़ते दिखाई दे रहे है। इस बीच आज आज़म खान से मुलाकात करने के लिए शिवपाल यादव सीतापुर जेल पहुचे है। सीतापुर जेल में आज़म खान से शिवपाल की मुलाकात का सियासी मायने निकाला जाने लगा है। शिवपाल यादव और आज़म खान दोनों ही अखिलेश यादव से नाराज़ चल रहे है।
वैसे पार्टी छोड़ने वाले ज्यादातर नेताओं का कहना है कि चुनाव में मुस्लिमों ने एकजुट होकर समाजवादी पार्टी के लिए वोट किया, लेकिन सपा के यादव वोटर्स ही पूरी तरह से उनके साथ नहीं आए। इसके चलते चुनाव में हार मिली। इसके बाद भी मुस्लिमों से जुड़े मुद्दों पर अखिलेश का नहीं बोलना नाराजगी को बढ़ा रहा है।
हाल ही में आजम खां के समर्थकों द्वारा सपा से मुखर होने के बाद इस मुलाकात के पीछे भी कई मायने निकाले जा रहे हैं। करीब 2 साल से सपा नेता आजम खां सीतापुर जिला कारागार में बंद है। उनके साथ उनकी पत्नी तंजीम फातिमा और बेटा अब्दुल्लाह आजम भी बंद थे। दोनों लोग जमानत पर रिहा हो चुके हैं। इस दरमियान जयंत चौधरी और अब्दुल्लाह आज़म के बीच रामपुर में मुलाकात भी सियासी मायने में काफी बयान करने के लिए है।
इससे पहले भाजपा में शामिल होने की अटकलों के बीच शिवपाल यादव और अखिलेश यादव अब दोनों खुलकर एक-दूसरे के खिलाफ बयान दे रहे हैं। शिवपाल यादव ने कहा कि अगर उन्हें (अखिलेश यादव) मुझसे कोई दिक्कत है तो वो मुझे पार्टी से निकाल दें। मैं सपा के 111 विधायकों में से एक विधायक हूं और वो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उन्होंने कल कहा था कि वह किसी भी दिन आजम खां से मुलाकात कर सकते हैं और आज मिलने के लिए पहुंच गए।
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर से मुलाकात पर शिवपाल ने कहा कि मेरी उनसे कोई मुलाकत नहीं हुई। हो सकता है कि वो मेरे ही नाम के किसी व्यक्ति से मुलाकात की बात कर रहे हों। भाजपा में शामिल होने पर उन्होंने कहा कि इसका खुलासा समय आने पर किया जाएगा कि क्या कर रहा हूं? कहां जा रहा हूं? किसी से कुछ भी नहीं छुपाऊंगा।
इस सबके बीच सियासी उठापटक को देखे तो जयंत चौधरी तथा चंद्रशेखर रावण के बीच बनी नजदीकी भी अपने सियासी मायने बयान कर रही है। इस दरमियान आज़म खान के परिवार से बढती जयंत चौधरी की नजदीकी ने इस सियासी आकडे पर और भी मुहर लगाया है कि जयंत चौधरी खुद को पश्चिम उत्तर प्रदेश में और भी मजबूत करना चाहते है। वही अखिलेश से नाराज़ मुसलमानों पर कांग्रेस, बसपा भी अपने डोरे डाल रही है। ऐसे में मुस्लिम वोटर्स को सभी अपने पाले में लेना चाहते है। अब यहाँ कयास लगाया जा रहा है कि क्या शिवपाल यादव कोई नया सियासी विकल्प तैयार करने में सफल रहेगे?
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