तारिक़ आज़मी
वाराणसी: हर एक नागरिक को स्वच्छ जल की आवश्यकता पीने के पानी के तौर पर है। मगर वाराणसी नगर निगम क्षेत्र में एक इलाका आदमपुर जोन का सलेमपुरा ऐसा है जहा महीनो से गन्दा पानी सप्लाई में आ रहा है। शिकायत करने पर विभाग के द्वारा कोरा आश्वासन मिल जाता है। इस आश्वासन की तकिया लगा कर जनता को सुला दिया जाता है। गंदे पानी की सप्लाई के कारण इलाके में बिमारी ने अपने पैर जहा फैलाने शुरू कर दिए है, वही पानी का कारोबार करने वालो के ग्राहक इस क्षेत्र में बढ़ने शुरू हो गये है। वही क्षेत्र में जलकल विभाग के जेई आशुतोष आश्वासन देने में शायद पूरी पीएचडी कर चुके है।
दरअसल आदमपुर जोन के सलेमपुरा में दो जगह से पानी की सम्पाई है। एक पुरानी लाइन जिसका पानी मैदागिन से आता है और दूसरा नई लाइन जिसका पानी सलेमपुरा काली मस्जिद के पास स्थित ट्यूबवेल से आता है। इलाके में कहने को तो कई हैण्ड पम्प भी है, मगर डूडा ने हैण्ड पम्प लगवा कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लिया है। क्षेत्र के लगभग सभी हैण्ड पम्प ख़राब पड़े है और वर्षो से इसको बनवाने की फुर्सत किसी के पास नही है। ये ज़रूर है कि मरम्मत के नाम पर जुगाड़ डॉट काम चलता रहता होगा। यहाँ पानी की सप्लाई के दोनों ही लाइन इस समय समस्या से दो चार नही बल्कि पूरी तरह समस्या ग्रस्त है।
इस इलाके में पुरानी पाइप लाइन में पानी का फ़ोर्स काफी कम होने के कारण जिन जिन घरो में पुराने लाइन से कनेक्शन है वहा पानी की समस्या मुह फैलाए खडी है। अधिकतर घरो में पानी आ ही नही रहा है और कुछ घरो में अगर पानी आ भी रहा है तो पानी के साथ बालू की समस्या है। इस सम्बन्ध में हमने इस सप्ताह के शुरू में समाचार लिखा तो स्थानीय जेई ने अपने कर्मचारियों को हमारे पास भेजा था। एक ज़िम्मेदार नागरिक का कर्त्तव्य निभाते हुवे हमने पानी की समस्या को उनके कर्मचारियों को बताया भी था, और कर्मचारियों सामने से और जेई आशुतोष के द्वारा मुझे फोन पर आश्वासन मंगलवार को हो जाने का दिया गया। मंगलवार क्या साहब यहाँ आज शनिवार हो गया मगर न तो जेई साहब के दर्शन हुवे और न उनके कर्मचारियों के दर्शन हुवे। समस्या है कि जस की तस बनी हुई है।
अब अगर बात करे इस इलाके के नई पाइप लाइन की तो इस पाइप लाइन में पानी सप्लाई जैसा हमने पहले बताया सलेमपुरा के काली मस्जिद स्थित ट्यूबवेल से होती है। इस ट्यूबवेल की भी उम्र अब बुज़ुर्गी की तरफ जा चुकी है और इसकी बोरिंग बैठ गई है। जिसके कारण यहाँ से पानी की सम्पाई काफी बाधित है। वैसे तो बताता चालू कि इसकी दूसरी बोरिंग करवाने की कागज़ी कार्यवाही पूरी तरह से मुकम्मल हो चुकी है मगर फिर भी इसकी बोरिंग क्यों नही शुरू अभी तक हुई है इसका जवाब किसी के पास नही है। वैसे भी टूटे पाइप लाइन को सायकल के ट्यूब से बाँध कर काम चलाने वाले विभाग से जल्दी की आशा करना बिलकुल उचित नहीं है ऐसा हमारे काका कहते है। फिर भी हम तो आशा ही कर सकते है।
बहरहाल, नई पाइप लाइन से आने वाला पानी बेहद बदबूदार होता है। यह समस्या पिछले तीन महीनो से लगभग बनी हुई है। मगर इसका निस्तारण करने के बजाये आश्वासन देने में सियासत को पीछे छोड़ चुके जेई साहब समस्या का निस्तारण करवाने के बजाये अभी भी आश्वासन से काम चला लेते है। गंदे पानी की सप्लाई और मज़बूरी में उसके उपयोग का असर अब इलाके में देखने को मिल रहा है और इलाके में लोग बीमार होना शुरू हो चुके है। इस समस्या से निपटने के लिए क्षेत्र में लोगो ने अपने घरो में मिनरल वाटर सप्लाई करने वालो से संपर्क करना शुरू कर दिया है और मिनरल वाटर का कारोबार यहाँ बढ़िया फल फुल रहा है। जब साफ़ पानी पीने के लिए लोगो को मुअस्सर नही होगा तो बेशक लोग दो रोटी कम खायेगे मगर पानी पीने की व्यवस्था कही न कही से करेगे।
पानी की सियासत करते शायद जेई साहब मानवता को कही पीछे छोड़ चुके है। आश्वासन जिनके पास पैसे है वह तो अपनी समस्या का समाधान किसी न किसी तरीके से कर लेते है। मगर जो गरीब है उनका कभी शायद जेई साहब ने सोचा ही नही होगा। जो गरीब है उनकी मज़बूरी है इस गंदे पानी को पीना अथवा दो रोटी कम खा कर खुद के लिए रोज़ का पानी खरीद कर पीना। अब देखना होगा कि आखिर जेई साहब और अन्य सम्बन्धित अधिकारी इस इलाके की समस्या का निस्तारण कब तक करते है। पिछले तीन महीनो से तो समस्या जस की तस बनी हुई है। इंतज़ार तो हम भी कर रहे है साहब।
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