संजय ठाकुर
नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र हर एक सियासी दल अपनी अपनी राजनैतिक समीकरणों में जुटे हुवे है। इस दरमियान सियासी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की नजदीकियां कांग्रेस से लगातार बढती जा रही है जिसके सियासी मायने निकाले जाने शुरू हो गए है। इस दरमियान पिछले 4 दिनों में प्रशांत किशोर की सोनिया गांधी से तीसरी मुलाकात हुई है। इस मुलाक़ात को लेकर सियासी अटकलों का दौर चल पड़ा है।
बैठक के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि प्रशांत किशोर नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार, जगनमोहन रेड्डी, ममता बनर्जी और अमरिंदर सिंह के साथ काम कर चुके हैं। उनसे सेवा लेने में कोई हर्ज नहीं है। बताते चलें प्रशांत किशोर और कांग्रेस के बीच 10 महीनों के बाद एक बार फिर से बातचीत की शुरुआत हुई है। पहले दिन हुए बैठक में सोनिया गांधी, पी चिदंबरम, मुकुल वासनिक, अंबिका सोनी और ए के एंटनी ने हिस्सा लिया था।
हालांकि जानकारों का मानना है कि प्रशांत किशोर का सबसे ज़्यादा फोकस गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनावों पर है। इसके आगे की रणनीति चिंतन शिविर में तय होने की उम्मीद है।बताते चलें कि प्रशांत किशोर की कांग्रेस पार्टी में क्या भूमिका होगी इसे लेकर मंगलवार को कांग्रेस नेताओं ने कहा था कि इस पर अंतिम फैसला सोनिया गांधी ही लेंगी। सूत्रों ने बताया था कि सोनिया गांधी ने सोमवार शाम को इस मसले पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ विचार-विमर्श किया था तथा राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से चर्चा कर वे इस बारे में अंतिम निर्णय लेंगी। बताते चलें कि प्रियंका और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत के बाद सोनिया ने तीन दिन में दूसरी बार प्रशांत किशोर से बात की थी। राहुल गांधी इस बातचीत का हिस्सा नहीं थे।
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