रायपुर धर्मसंसद में कथित तौर पर महात्मा गाँधी हेतु अपशब्दों का प्रयोग करने वाले कालीचरण महाराज ने ज़मानत पर छूटने के बाद समर्थको के साथ लहराया धारदार हथियार, समर्थको ने किया पुष्प वर्षा
तारिक़ खान
इंदौर: महात्मा गांधी के खिलाफ कथित अमर्यादित टिप्पणी के मामले में न्यायिक हिरासत के तहत रायपुर के केंद्रीय जेल में तीन महीने रहने के बाद हाल ही में जमानत पर छूटे कालीचरण महाराज का एक विवादास्पद वीडियो बृहस्पतिवार को सोशल मीडिया पर सामने आया। इसमें कालीचरण इंदौर में अपने समर्थकों द्वारा स्वागत के दौरान भेंट किए गए कथित धारदार हथियार को लहराता नजर आ रहा है।
वीडियो के मुताबिक कालीचरण शहर में अपने समर्थकों से फूल मालाएं स्वीकार कर रहा है और एक हाथ में तलवार तथा दूसरे हाथ में हंसिये जैसा हथियार लहरा रहा है। इस दौरान वह एक एसयूवी की छत से बाहर निकला दिखाई देता है और उसका काफिला जुलूस की शक्ल में आगे बढ़ रहा है। मंगलवार रात की इस घटना के वीडियो के हवाले से प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिंह यादव ने आरोप लगाया,‘‘कालीचरण के समर्थक उसके द्वारा खुलेआम धारदार हथियार लहराने का वीडियो सोशल मीडिया पर जारी करके शहर की फिजा बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।” उन्होंने मांग की कि आम लोगों में दहशत फैलाने के इस कथित कृत्य पर कालीचरण तथा उसके समर्थकों के खिलाफ पुलिस और प्रशासन को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई करनी चाहिए।
उधर, इस मांग को लेकर प्रतिक्रिया मांगे जाने पर प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इंदौर में संवाददाताओं से कहा कि कालीचरण महाराज के मामले में कांग्रेस कार्रवाई की बात ‘‘स्वाभाविक रूप से” करेगी, लेकिन यह पार्टी गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर के बाहर सुरक्षाकर्मियों पर हमला करने वाले कथित ‘आतंकी’ के बारे में कुछ भी नहीं बोलेगी। उन्होंने गोरखपुर की घटना के आरोपी अहमद मुर्तजा अब्बासी का हालांकि नाम नहीं लिया, लेकिन उसे विवादास्पद इस्लामी प्रचारक जाकिर नाइक का ‘‘पट्ठा” (चेला) बताते हुए पूछा,‘‘गोरखपुर में जो आतंकवादी मिला है, उसके बारे में क्या आपने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह या उनके दोस्त जाकिर नाइक का एक ट्वीट तक देखा?’
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने कालीचरण को 30 दिसंबर 2021 को मध्यप्रदेश के खजुराहो से गिरफ्तार किया था। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दिसंबर 2021 में आयोजित ‘‘धर्म संसद” के दौरान कालीचरण ने अपने भाषण के दौरान महात्मा गांधी के खिलाफ कथित तौर पर अपशब्दों का प्रयोग किया था।