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ज्ञानवापी (आलमगीरी) मस्जिद प्रकरण; आज होगी ज़िला जज की अदालत के सुनवाई

तारिक़ आज़मी

वाराणसी। इसके पहले सुनवाई करते हुवे सुप्रीम कोर्ट में आलमगिरी मस्जिद यानी ज्ञानवापी मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता हुजैफा अहमदी ज़बरदस्त दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला किया है कि मामले की सुनवाई अब ट्रायल कोर्ट में न होकर जिला जज इसकी सुनवाई करेगी और वह सबसे पहले ये फैसला करेगे कि मामला “प्लेसेस आफ वरशिप एक्ट 1991” का उलंघन है कि नही। पहले वह मुस्लिम पक्ष की याचिका को सुनेगे। ये एक बड़ी खबर सुप्रीम कोर्ट की है। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में जुलाई के दुसरे सप्ताह में सुनवाई करेगी। अदालत ने कहा है कि मामले में “हीलिंग टच” देना है।

मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हिन्दू पक्ष के पहले मुस्लिम पक्ष की दलील सुने कि क्या हिन्दू पक्ष की अर्जी सुनवाई योग्य है या नही। सुप्रीम कोर्ट ने पुरे एरिया को सील करने की मांग को निरस्त करके अपने 17 मई के आदेश को कायम रखते हुवे कहा है कि हम इसमें नियमो के अनुसार चलेगे और जुलाई के दुसरे हफ्ते में सुनवाई करेगे। सुप्रीम कोर्ट ने एक बहुत ही स्पष्ट रुख अपनाया है और कहा कि अगर किसी मंदिर में क्रॉस का निशान मिल जाता है तो यह नही सिद्ध होता है कि वह मंदिर नही चर्च है। आज की कार्यवाही में सबसे बड़ी बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिला जज पहले इस फैसले पर पहुचे कि हिन्दू पक्ष की याचिका सुनवाई योग्य है कि नही।

सुप्रीम कोर्ट में आलमगिरी मस्जिद यानी ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर सुनवाई चल रही थी। इस मौके पर मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता हुजैफा अहमदी ज़बरदस्त दलील पेश किया। इस दरमियान अधिवक्ता हुसैफा अहमदी की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला किया है कि मामले की सुनवाई अब ट्रायल कोर्ट में न होकर जिला जज इसकी सुनवाई करेगी और वह सबसे पहले ये फैसला करेगे कि मामला “प्लेसेस आफ वरशिप एक्ट 1991” का उलंघन है कि नही। पहले वह मुस्लिम पक्ष की याचिका को सुनेगे। ये एक बड़ी खबर सुप्रीम कोर्ट की है। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में जुलाई के दुसरे सप्ताह में सुनवाई करेगी। अदालत ने कहा है कि मामले में “हीलिंग टच” देना है।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिन्दू पक्ष के पहले मुस्लिम पक्ष की दलील सुने कि क्या हिन्दू पक्ष की अर्जी सुनवाई योग्य है या नही। सुप्रीम कोर्ट ने पुरे एरिया को सील करने की मांग को निरस्त करके अपने 17 मई के आदेश को कायम रखते हुवे कहा है कि हम इसमें नियमो के अनुसार चलेगे और जुलाई के दुसरे हफ्ते में सुनवाई करेगे। सुप्रीम कोर्ट ने एक बहुत ही स्पष्ट रुख अपनाया है और कहा कि अगर किसी मंदिर में क्रॉस का निशान मिल जाता है तो यह नही सिद्ध होता है कि वह मंदिर नही चर्च है। आज की कार्यवाही में सबसे बड़ी बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिला जज पहले इस फैसले पर पहुचे कि हिन्दू पक्ष की याचिका सुनवाई योग्य है कि नही।

सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे रिपोर्ट लीक पर कडा रुख अपनाया है और कहा है कि ऐसी संवेदनशील स्थिति में सर्वे रिपोर्ट लीक होना बेहद गलत है। आज सुप्रीम कोर्ट ने अपने टिप्पणी में निम्न मुद्दे उठाया है।

  • जिला जज मामले की सुनवाई करेगे – सुप्रीम कोर्ट
  • 17 मई का सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू रहेगा – सुप्रीम कोर्ट
  • जिला प्रशासन वजू का इंतज़ाम करे और नमाजियों को नमाज़ पढने से न रोके- सुप्रीम कोर्ट
  • जिला जज पहले मुस्लिम पक्ष की याचिका पर फैसला करेगा कि हिन्दू पक्ष का वाद “प्लेसेस आफ वरशिप एक्ट 1991” के तहत सुनवाई योग्य है या नही – सुप्रीम कोर्ट
  • सुप्रीम कोर्ट जुलाई के दुसरे सप्ताह में करेगा इसकी सुनवाई- सुप्रीम कोर्ट
  • केस में “हीलिंग टच” की ज़रूरत- सुप्रीम कोर्ट
  • सर्वे रिपोर्ट लीक हुई ये गलत है – सुप्रीम कोर्ट
  • 8 हफ्ते तक जारी रहेगा सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया हुआ 17 मई का आदेश- सुप्रीम कोर्ट
  • ट्रायल कोर्ट पहले ये तय करे कि मामला प्लेसेस आफ वरशिप एक्ट 1991 के तहत सुनवाई योग्य है या नही- सुप्रीम कोर्ट

अहमदी ने दलील दिया कि अदालत अगर बाद में सुनवाई करती वजू खाना सील न हो। जिस पर अदालत ने कहा कि ऐसा संभव नही है कि जिस जगह पर शिवलिंग मिलने की बात है सिर्फ उतनी जगह सील होना संभव नही है। इस मामले में तीन जजों की बेंच सुनवाई कर रही है जिसमे जस्टिस चंद्रचूड, जस्टिस सुर्यकान्त और जस्टिस नरसिम्हा कर रहे है। अदालत ने कहा कि हम देश में संतुलन बनाये रखने के लिए प्रयासरत है। जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि चुन्निदा लीक बंद होनी चाहिए, ये जटिल और संवेदनशील मामला है।

इसके पहले हुजैफा अहमदी ने अपनी दलील में कहा है कि ये केवल एक मस्जिद की बात नही है। कई मस्जिदों में ऐसे मामले सामने आने लगेगे। एडवोकेट अहमदी ने दलील पेश करके कहा कि 500 साल की स्थिति बनी रहनी चाहिए। अहमदी की दलील पर कोर्ट ने कहा है कि हम मामले में सीधे नही कूद सकते है। ये ज़रूर कर सकते है कि ट्रायल कोर्ट की सुनवाई करे। दूसरी बड़ी टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस चंद्रचूड ने किया कि हमे देखना है कि दोनों समुदायों में भाईचारा बना रहे। हम अंतरिम आदेश जारी रख सकते है। अदालत ने कहा कि हमे नियम कानून से चंला है। केस में “हीलिंग टाच” की ज़रूरत है।

इस दरमियान दलील देते हुवे मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता हुजैफा अहमदी ने कहा कि हमे सर्वे कमिशन पर ही एतराज़ है। मुस्लिम पक्ष के वकील का कहना है कि सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल होना चाहिए मगर ये मीडिया में वायरल हो रही है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल होनी चाहिए थी। मामले में जिरह जारी है। अदालत ने कहा है कि चुनिन्दा लीक बंद होनी चाहिए। अब जब जिला जज इस मामले में सुनवाई करेगे कि यह केस “प्लेसेस आफ वर्सिप एक्ट 1991” का उलंघन है या नही।

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