आफताब फारुकी
डेस्क: ताजमहल हो शिव मंदिर ताजो महल बताने वाली याचिका को आज हाई कोर्ट ने ख़ारिज कर याचिकाकर्ता को जमकर फटकार लगाई है और कहा है कि पीआईएल को मजाक न बनाये। पहले जाए और रिसर्च करे। पहले एमए करे, फिर जेआरऍफ़ नेट करे। कोई यूनिवर्सिटी आपको इस विषय पर शोध करने से रोके तो फिर हमारे पास आये। कल आप कहेगे कि जज के चेंबर में जाना है तो क्या हम अनुमति देंगे। जाइए और शोध करे कि ताज महल कब बना और किसने बनवाया।
इस याचिका पर आज दोपहर 2 बजे सुनवाई करते हुवे जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की बेच ने इस याचिका को खारिज करते हुवे जमकर याचिकाकर्ता को फटकार लगाईं। अदालत ने कहा कि आप पीआईएल को मज़ाक न बनाये। कल आप कहेगे कि जज के चेंबर में जाने को कहेगे तो हम क्या आपको उसकी अनुमति देंगे। आप आइये हम इसपर बहस कर सकते है, मगर हमारे घर पर, हम अदालत में नही सुनेगे। अदालत ने सवाल पूछते हुवे कहा कि आप क्या चाहते है कि इतिहास वैसे पढ़ा जाए जैसे आप चाहते है।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई में याचिकाकर्ता रजनीश सिंह के वकील ने कहा कि देश के नागरिकों को ताजमहल के बारे में सच जानने की जरूरत है। याचिकाकर्ता ने कहा- मैं कई आरटीआई लगा चुका हूं। मुझे पता चला है कि कई कमरे बंद हैं और प्रशासन की ओर से बताया गया कि ऐसा सुरक्षा कारणों की वजह से किया गया है। इसके जवाब में यूपी सरकार के वकील ने कहा कि इस मामले में आगरा में पहले से ही मुकदमा दर्ज है और याचिकाकर्ता का इस पर कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। वहीं याचिकाकर्ता ने कहा कि मैं इस तथ्य पर बात ही नहीं कर रहा कि वह जमीन भगवान शिव से जुड़ी है या अल्लाह से। मेरा मुख्य मुद्दा वो बंद कमरें हैं और हम सभी को जानना चाहिए कि आखिर उन कमरों के पीछे क्या है।
इसके बाद दो न्यायाधीशों की बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि जाइए एमए करिए और उसके बाद ऐसा विषय चुनिए। अगर कोई संस्थान आपको रोकता है तो हमारे पास आइए। अदालत ने पूछा कि आप किससे सूचना मांग रहे हैं? इसके जवाब में याचिकाकर्ता ने कहा कि प्रशासन से। इस पर कोर्ट ने कहा- अगर वो कह चुके हैं कि सुरक्षा कारणों से कमरे बंद हैं तो वही सूचना है। अगर आप संतुष्ट नहीं हैं तो इसको चुनौती दीजिए। आप एमए करिए और फिर नेट, जेआरएफ करिए और अगर कोई यूनिवर्सिटी आपको इस विषय पर शोध करने से रोके तो हमारे पास आइए। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता अपनी याचिका तक ही सीमित रहे।
याचिकाकर्ता ने कहा कि हमें उन कमरों में जाने की अनुमित दीजिए। इस पर कोर्ट ने तंज कसा कि कल को आप कहेंगे हमें माननीय न्यायाधीशों के चेंबर में जाना है। पीआईएल सिस्टम का मजाक मत बनाइए। याचिकाकर्ता ने कहा कि मुझे थोड़ा वक्त दें, मैं इस पर कुछ फैसले दिखाना चाहता हूं। इस पर अदालत ने कहा कि यह याचिका मीडिया में चर्चा का विषय बनी हुई है और अब आप ये सब कर रहे हैं। इस मुद्दे पर आप मेरे घर आइए और हम इस पर बहस करेंगे लेकिन अदालत में नहीं।
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