तारिक़ आज़मी
सुप्रीम कोर्ट ने आज ज्ञानवापी मस्जिद के मामले सुनवाई किया। सुनवाई के दरमियान सुप्रीम कोर्ट ने कई मुद्दे की बाते कही। हकीकत में देखे तो सुप्रीम कोर्ट में कहे गये हर एक लफ्ज़ में बहुत ही गहराई होती है। आज सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दरमियान “हीलिंग टच” की बात कही। हकीकत में इसकी गहराई को समझने की दोनों पक्षों को ज़रूरत है। बेशक एक अहसास ही है ये। “हीलिंग टच” की परिभाषा हमे आपको समझनी होगी। इसको परिभाषित करने के लिए कोई विद्वान् की आवश्यकता नही है। बस जिस वक्त आप बुरे वक्त में हो और आपके आसपास का आपकी नज़र में सबसे बुरा इंसान आपकी उस बुरे वक्त में सहायता कर आपको मुसीबत से बचा लेता है। वो अहसास जिसको आप लफ्जों में बयान नही कर पाते वह है “हीलिंग टच”।
आज सुप्रीम कोर्ट ने जिन बातो पर तरजीह दिया और जिस तरीके से आदेश दिया तो नफरत के कारवाँ चलाने वालो को बेशक बड़ी दिक्कत आ रही होगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को गौर करे तो दो महीने के लिए इस बहस पर तो लगाम लग गई है। ज्ञानवापी केस को सुप्रीम कोर्ट ने ज़िला जज को ट्रांसफ़र कर दिया है। साथ ही कथित शिवलिंग वाले एरिया को सील रखे रहने और मस्जिद में नमाज़ पढ़ने की अनुमति वाले आदेश को आगे जारी रखने के लिए कहा है। ये आदेश अगले दो महीने तक जारी रहेगा।
ध्यान दीजिये आप इस पर कि एक और मुकदमा शुरू हो गया है। अयोध्या मामला तक़रीबन 134 साल चला था। अब जिला जज इस बात को पहले सुनेगे कि ये मामला “प्लेसेस आफ वर्सिप एक्ट 1991” का उलंघन है अथवा नही। मस्जिद कमिटी यानी मुस्लिम पक्ष की बात पहले सुनी जाएगी। साफ बात है कि अगर मामला “प्लेसेस आफ वरशिप एक्ट 1991” का उलंघन है तो फिर सभी सर्वे रिपोर्ट से लेकर अब तक की कार्यवाही का क्या होगा आप भी समझ सकते है। वो जो सनसनी आपके पसंदीदा चैनलों पर चल रही थी वो शायद आप मिस करेगे। शायद सोमवार के बाद तो महसूस होगी ही क्योकि गर्मियों की छुट्टिया भी होनी है।
इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में अब गर्मी की छुट्टियों के बाद, यानी जुलाई के दूसरे हफ्ते में होगी। बेशक आपका पसंदीदा चैनल अब सनसनी फैलाने के लिए अगले 2 महीने क्या करेगा आप सोच रहे होंगे। इस दरमियान अगर आपको लगता है कि आप बोर हो रहे है, कोई मुद्दा हिंदू मुस्लिम के नाम लड़ने के लिए नही बचा है तो आप उसके लिए तनिक भी चिंतित न हो। ताजमहल, कुतुबमीनार से लेकर कोई और मस्जिद, ईदगाह, कब्र ढूँढ लिया जायेगा। इस देश में लाखों मंदिर-मस्जिद हैं, आराम से मिल जाएगी एकाध जगह ऐसी कि आप उस मुद्दे पर घमासान कर सकते है।
मगर ध्यान रखियेगा कि नफरतो का कारवा जिस दिन रुक जाएगा, भीड़ के पाँव में दर्द बहुत होगा। भीड़ तो आप आसपास जुटा ही चुके है। जो देखता है समाज, वही बनता है समाज। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि टीवी अब टीआरपी का खेल बन चूका है। याद तो होगा ही आपको कि कुछ वक्त पहले टीआरपी घोटाला सामने आया था। नम्बर वन की कुर्सी कैसे हिली थी। एक से पांच तक पहुची तो सर भी घुमा था। याद है न आपको कैसे कैसे आरोप फिर लगे थे। लीडिंग पेज खरीदने के आरोप। याद होगा ही आपको। जानते है आप ये लीडिंग पेज क्या होता है। जब आप टीवी चालु करते है तो जो सबसे पहला चैनल आपके आँखों के सामने होता है उसको लीडिंग पेज कहते है।
बहरहाल आरोप तो आरोप है। नफरतो की भीड़ का कारवां अगर कही सांस लेने को थम जाए तो आप सोचिये कि थोक महंगाई दर इस वक्त कितनी हुई है। 24 साल का रिकार्ड तोड़ चुकी है और 15।08 फीसद है। घरेलु गैस सिलेंडर 1000 पार कर चूका है। सब्जियों के दाम 23 फीसद से ऊपर जा चुके है। खुदरा महंगाई दर का भी पता कीजियेगा कहा है। पेट्रोल डीज़ल की क्या हालात है। बेरोज़गारी कितनी है। मगर इन सबसे पहले इस नफरतो के भीड़ का कारवाँ रुके तो। भीड़ को अपने पाँव में दर्द बेशक बहुत होगा।
कोई जामा मस्जिद के नीचे मूर्ति बताता है तो कोई ताजमहल के अन्दर, किसी को कुतुबमीनार से दिक्कत है तो किसी को अज़ान की आवाज़ से दिक्कत है। किसी को दिक्कत है कि मंदिर के पास मस्जिद क्यों है तो किसी को दुसरे मज़हब से दिक्कत है। समझे आप इन सबके बीच आखिर रुपया कितना कमज़ोर हो गया और डॉलर मजबूत हो गया। अर्थव्यवस्था की क्या हाल है ये जानने के लिए आपको थोडा इस कारवाँ से निकल कर सोचना होगा। सोचे कभी आप नफरत को फैलाने वालो की बाते सुन सुन कर कहा पहुचे है। आखिर इतिहास में दफन जहर को क्यों निकाला जा रहा है। याद रखियेगा कि जो समाज देखता सुनता और पढता है समाज वैसे ही बर्ताव करता है। समाज वही बनता है। उदाहरण आपके अडोस पड़ोस में काफी होंगे।
ध्यान रखियेगा, नफरतो को आज अगर हमने इंकार नही किया तो हम आप इन नफरतो में पड़कर अपना वर्त्तमान और भविष्य यानी अपना आज और आने वाला कल हम अंधकारमय करेगे। अभी भी वक्त है कि नफरतो को इंकार करना शुरू कर दे। नफरती न्यूज़ और बातो को नज़रअंदाज़ करे। मुहब्बतों को सीने से लगाये और उसका अहसास करे। बेशक मुहब्बत बहुत खुबसूरत है। ध्यान रखियेगा कि “नफरतो का कारवां जिस दिन थम जाएगा, भीड़ के पाँव में दर्द बहुत होगी।” फिर आप सोचते रहिएगा कि मुहब्बत के हमारे शहर में नफरतो का सामान किसका है। नई सड़क पर ये पुराना मकान किसका है। शुक्रिया दोस्तों इतना पढने के लिए।
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