शाहीन बनारसी
वाराणसी। नजरिया बदले बिना आदिवासी समाज का कल्याण असंभव है। आदिवासियों को समझने के लिए आदिवासी नजरिया होना जरूरी है। बिना इसके आदिवासी समाज का निर्माण नहीं हो सकता। तरना स्थित नवसाधना केन्द्र में “प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण” कार्यक्रम के अंतिम दिन नई दिल्ली स्थित भारतीय सामाजिक संस्थान के फादर भिनसेंट एक्का ने उक्त बाते कही। उन्होंने कहा कि देश में 705 आदिवासी समुदाय है, लेकिन यह इस समाज का दुर्भाग्य है कि उनकी पूरी गिनती तक नहीं है। देश में आदिवासी समाज करीब 20 फीसदी है पर सरकारी गणना में सिर्फ़ 8.02 फीसदी ही बताया जाता है।
राइज एंड एक्ट और सेंटर फार हार्मोनी एंड पीस व भारतीय सामाजिक संस्थान की तरफ़ से आयोजित इस शिविर में बदली परिस्थिति में “सामाजिक कार्यकर्ताओं की क्या भूमिका हो” इस पर समूह चर्चा हुई। चर्चा में आशा ट्रस्ट के वल्लभाचार्य पांडेय ने तकनीक का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रीय एकता, शांति और न्याय के मुद्दों को उठाने पर बल दिया। प्रतिभागियों में असम के वरिष्ठ पत्रकार सैयद रबिऊल हक, उड़ीसा की पुष्पा, यूपी के अंकेश कुमार, अर्शिया खान, शमा परवीन, हरिश्चन्द्र,राम किशोर और विकास मोदनवाल आदि ने अपने-अपने विषय पर विचार व्यक्त किये। समारोह में देश के अन्य राज्यों से आये प्रतिभागियों का यूपी चैप्टर की तरफ की तरफ से अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया। साथ ही सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र और पुस्तकें देकर सम्मानित किया गया। समारोह का संचालन आयोजक डा0 मुहम्मद आरिफ़ ने किया।
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