तारिक़ खान
नई दिल्ली: देश द्रोह कानून के के मुखालफत में पड़ी याचिकाओं की सुनवाई करते हुवे आज सुप्रीम कोर्ट ने एक एतिहासिक फैसला देते हुवे देश द्रोह कानून के तहत ऍफ़आईआर दर्ज करने पर रोक लगा दिया है और साथी ही कहा है कि इस कानून की समीक्षा होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने आदेश में कहा है कि जो जेल में इस कानून के तहत बंद है वह भी अपनी ज़मानत के लिए अर्जी दे सकते है।
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से एसजी ने कहा कि हमने एक प्रस्ताव तैयार किया है। हम एक संज्ञेय अपराध को नहीं रोक सकते जो कि किया जाएगा। लेकिन हमने एक प्रोपोजल तैयार किया है। एफआईआर तभी दर्ज हो, जब एसपी स्तर के अधिकारी या उससे ऊपर के अधिकारी को लगता है कि देशद्रोह का आरोप लगाया जाना चाहिए। एसजी ने कहा कि आप निर्देश दे सकते हैं कि जमानत के आदेश पर शीघ्र निर्णय लिया जाए। लेकिन इससे परे एक ऐसे कानून पर बने रहना गलत होगा, जिसकी संवैधानिकता को पहले ही आंका जा चुका है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इसका विरोध जताया।
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