ज्ञानवापी मस्जिद के बाद अब उठा मथुरा ईदगाह का प्रकरण: वकालत की 7 छात्राओं और 4 अधिवक्ता सहित 11 लोगो ने दाखिल किया सेक्शन 92 के तहत अदालत में वाद, कहा ज़मीन किया जाए उनके हवाले
तारिक खान
डेस्क: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के बाद मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान-ईदगाह प्रकरण पर एक और दावा पेश किया गया है। यह दावा विधि छात्रा उपासना सिंह, अनुष्का सिंह, नीलम सिंह साधना सिंह, अंकिता सिंह, डॉ। शंकुतला मिश्रा (लखनऊ विश्वविद्यालय), दिव्या निरंजन (आईसीएएफएआई देहरादून) के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के अधिवक्ता अंकित तिवारी एडवोकेट, वरुण कुमार मिश्रा, शैलेंद्र सिंह, दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता रंजन कमार रॉय ने किया है।
याचिकाकर्ताओ ने जिला जज की अदालत में 13.37 एकड़ जमीन पर दावा किया है। सभी ने इस जमीन से ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग अदालत से की है। मंगलवार को इस दावे को जिला जज की अदालत में पेश किया गया, जिसकी सुनवाई एडीजे ने की। अब इस पर 25 मई को सुनवाई होगी। इधर, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष एडवोकेट महेन्द्र प्रताप सिंह ने अदालत से ईदगाह को सील करने की मांग की है। इस पर एक जुलाई को सुनवाई होगी।
इस याचिका के समर्थन में अदालत ने विधि छात्राओं और अधिवक्ताओं से न्यायाधीश ने प्रार्थना पर सुनवाई की और जमीन के मालिकाना हक संबंधी कागजात मांगे है। अदालत ने सभी को जमीन के मालिकाना हक के कागजात पेश करने के लिए 25 मई की तारीख तय की है। बताते चले कि सेक्शन 92 के तहत दो या दो से अधिक लोगों द्वारा एक मत होकर संस्थान के साथ हुए गलत को जनहित में सही करने के लिए दावा किया जा सकता है।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान-ईदगाह प्रकरण के वादियों में से एक श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह ने अदालत से ईदगाह को सील करने की मांग की है। उनका आरोप है कि प्रतिवादीगण द्वारा वहां पर मौजूद अवशेष स्थलों को नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है। लिहाजा ईदगाह को सील किया जाए। इससे संबंधित महेंद्र प्रताप ने मंगलवार को एक प्रार्थना पत्र सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में दिया।
उन्होंने प्रार्थना पत्र में कहा है कि जिस प्रकार से ज्ञानवापी में हुए सर्वे में मंदिर के अवशेष शिवलिंग आदि मिले हैं। इसी प्रकार से मथुरा में ईदगाह के स्थान पर मूल मंदिर था और आज भी कुछ अवशेष मौजूद हैं। जिनको प्रतिवादीगण नष्ट कर सकते हैं। लिहाजा ईदगाह में सभी का आना-जाना प्रतिबंधित किया जाए। कोई सक्षम अधिकारी अवशेष की सुरक्षा के लिए नियुक्त किया जाए। साथ ही वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, जिला मजिस्ट्रेट व सीआरपीएफ कमांडेंट को निर्देशित कर ईदगाह को सील किया जाए। प्रार्थना पत्र में बताया गया है कि ईदगाह ही मुख्य गर्भगृह है। अधिवक्ता राजेंद्र माहेश्वरी ने बताया कि उक्त प्रार्थना पत्र पर एक जुलाई को सुनवाई होगी।