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एलआईसी का आईपीओ हुआ इस वर्ष एशिया का दूसरा सबसे बड़ा नुकसान झेलने वाला शेयर, झेली 29 फीसद की गिरावट

तारिक खान/आफताब फारुकी

डेस्क: बढ़ती ब्‍याज दरों और मुद्रास्‍फीति के स्‍तर ने वैश्विक स्‍तर पर शेयर बिक्री को बुरी तरह प्रभाववित किया है और भारत के शेयर बाजार को विदेशियों की ओर से अभूतपूर्व बिक्री दबाव का सामना करना पड़ रहा है। बेंचमार्क S&P बीएसई सेंसेक्‍टस इस वर्ष 9 फीसदी से अधिक नीचे है। जिसके कारण लिस्‍टेड होने के एक माह बाद, एलआईसी का 2.7 बिलियन डॉलर का आईपीओ इस साल एशिया के इस साल के सबसे बड़े, नए स्‍टॉफ फ्लॉप्‍स में से एक साबित हुआ है।

बाजार मूल्‍य में आई 17 अरब डॉलर की भारी भरकम गिरावट ने एलआईसी को एशिया के आईपीओ में इस वर्ष के सबसे बड़ा नुकसान झेलने वालों में से एक बना दिया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार 17 मई के बाद से 29 फीसदी की गिरावट के साथ, भारत का अब तक का यह सबसे बड़ा आईपीओ लिस्टिंग के बाद से मार्किट कैपिटलाइजेशन के मामले में दूसरे स्‍थान पर है। इस मामले में यह दक्षिण कोरिया की एलजी एनर्जी सॉल्‍यूशन लिमिटेड से ही पीछे हैं जिसने “डेब्‍यू” के बाद शेयर की कीमत में 30 प्रतिशत से अधिक की गिरावट का सामना किया है।

एलआईसी के शेयर लगातार 10 वें सेशन में गिरावट की ओर अग्रसर हैं, सोमवार को यह 5.6% तक फिसल गया। इस गिरावट को लेकर भारत सरकार ने चिंता जताई है। सरकार ने अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा कि एलआईसी के शेयर में गिरावट को लेकर वह ‘चिंतित’ है। हालांकि उन्‍होंने इस गिरावट को अस्थायी बताया है। सरकार ने कहा कि बीमा कंपनी प्रबंधन इन पहलुओं को देखेगा और शेयरधारकों के मूल्य में वृद्धि करेगा।

गौरतलब है कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का शेयर 17 मई को 872 रुपये प्रति शेयर पर सूचीबद्ध हुआ था। सरकार ने एलआईसी के शेयर का निर्गम मूल्य 949 रुपये प्रति शेयर तय किया था। इससे पहले उसके आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) को करीब तीन गुना अभिदान मिला था। सूचीबद्ध होने के बाद से ही एलआईसी का शेयर निर्गम मूल्य से निचले स्तर पर बना हुआ है। यह इस दौरान 708.70 रुपये प्रति शेयर के निचले स्तर और 920 रुपये प्रति शेयर के ऊंचे स्तर तक गया।

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