ए0 जावेद
वाराणसी: कभी कडकडाती ठण्ड में ट्रेन से उतर कर एक ठण्ड से ठिठुरते भिखारी को अपना कम्बल दे देना, कभी खुद का जन्मदिन वृद्धाश्रम और अंध विद्यालय में जाकर मानना। सड़क पर किसी गरीब को देख कर खाना खिलाना। अक्सर ऐसी बाते आपने जिस आईपीएस के बारे में सुनी होगी वह है वाराणसी के अपर पुलिस आयुक्त सुभाष चन्द्र दुबे। कड़क वर्दी में एक नर्मदिल इंसान, सोशल मीडिया पर नवजवानों को करियर गाइड करना। ये इनके मामूर में शामिल है।
इसका एक उदाहरण आज देखने को मिला जब आईपीएस सुभाष चन्द्र दुबे घाटो पर निरिक्षण करने पहुचे। सख्त सियाह रात में पैदल एक घाट से दुसरे घाट। घाट की सीढियों से कभी नीचे जाना तो कभी ऊपर आना। साथ चल रहे पुलिस कर्मी भले ही थके दिखाई दे रहे हो, मगर आईपीएस सुभाष चन्द्र दुबे के चेहरे पर थकान नाम मात्र की नहीं थी।
इसी निरिक्षण के दरमियान घाट के पास झालमुड़ी का खोमचा लगाने वाली एक बुज़ुर्ग महिला के पास जाकर खड़े हो जाते है और उसका हाल चाल पूछने लगते है। हमेशा वर्दी देख कर सहम जाने वाले चेहरे पर गर्व की मुस्कान थी और वह बुज़ुर्ग महिला यह देख कर हैरान थी कि इतने बड़े अधिकारी उसका हाल चाल पूछ रहे है। महिला ने ख़ुशी ज़ाहिर करते हुवे कहा कि “साहब कुछ खायेगे?” सुभाष चन्द्र दुबे ने इस सवाल के उत्तर में कहा कि आज तो मैं खाना खा चूका हु। फिर कभी आऊंगा तो खाऊंगा।
उन्होंने अपने साथ चल रहे पुलिस कर्मियों के लिए झालमुड़ी देने को कहा और साथ चल रहे पुलिस कर्मियों में 5 लोगो ने झाला मुड़ी खाई। जिसके बाद अपने पास से सुभाष चन्द्र दुबे ने पैसे निकाल कर जब बुज़ुर्ग महिला को दिया तो वह संकोच दिखाने लगी। तभी सुभाष चन्द्र दुबे ने कहा आप पैसे रखे। मैं फिर आऊंगा कभी तो मैं भी खाऊंगा। कहते हुवे पैसे देकर वह चले गए। बुज़ुर्ग महिला के चेहरे पर ख़ुशी की मुस्कराहट थी। आसपास बैठे लोगो से वह काफी देर तक आईपीएस सुभाष चन्द्र दुबे की तारीफ करती दिखाई दे रही थी।
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