तारिक़ आज़मी
वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद मसले में रोज़ कोई न कोई सनसनी फैलती जा रही है। पहले भी हमने आपको कहा था कि मामले में सच क्या है इसका फैसला अदालत जब करेगी तब करेगी, मगर अभी स्थिति ये है कि टीवी चैनल के न्यूज़ रूम में फैसला करने के के लिए न्यूज़ एंकर और उनके इम्पोर्टेड पत्रकार बेचैन है। बनारस शहर के गलियों में धरातलीय परिस्थिति जाने बिना ही जमकर सनसनी फैलाने की कोशिश हो रही है। हद तो तब ख़त्म है कि जिनके दामनो पर लाखो दाग खुद है उनके बयान को सनसनी बना कर पेश किया जा रहा है।
एक चैनल के न्यूज़ रूम से चल रही न्यूज़ को देखा। एक कठमुल्ला, इम्पोर्टेड पत्रकार को बड़े बड़े दावे करते हुवे अंजुमन मसाजिद इन्तेज़मियां कमेटी के ऊपर बड़े बड़े आरोप लगा रहा था। वैसे खुद को मौलाना बताने वाले इस व्यक्ति को भली भांति मैं पहचानता हु। कल तक गली नुक्कड़ पर खड़े होकर बड़े बड़े कारनामे करने वाले आज मौलाना बने बैठे है इसकी जानकारी हमको पहले भी रही है। मौलाना का नाम शफीक मुजद्दीदी लोग जानते है। मौलाना शफीक काफी कुख्यात रहे है इसको आप लल्लापुरा में जाकर किसी से भी पूछ सकते है।
मौलाना शफीक को मौलाना कहने में भी वैसे इंसानियत शर्मसार हो जाती है तो उनको शफीक नाम से पुकारना बेहतर होगा। शफीक ने उस मीडिया कर्मी को बताया कि पहले मस्जिद में श्रृंगार गौरी का दर्शन होता था जो सन 90 के आसपास मुलायम सिंह ने बंद करवा दिया। क्यों बंद करवाया ये मुलायम सिंह से जाकर पूछो। सबसे बड़ा आरोप शफीक ने मौलाना बातिन और अंजुमन मसाजिद इन्तेज़मियां कमेटी पर लगाते हुवे उन्हें भू माफिया करार दिया और कहा कि मस्जिद कमेटी को सिर्फ मुख़्तार अंसारी ही नही बल्कि पीऍफ़आई भी फंडिंग करती है। एक तरीके से शफीक का आरोप है कि मस्जिद कमेटी को असामाजिक संगठन का समर्थन मिला है।
कौन है शफीफ जिसके दामन पर है लाखो दाग
लल्लापुरा के निवासी दो भाई हाजी प्यारे और हाजी लड्डन काफी सम्भ्रांत और इज्ज़तदार थे। दोनों भाइयो के बीच आपसी मुहब्बत काफी थी। हाजी प्यारे के दो बेटे हुवे, एक सिद्दीक और दूसरा शफीक। सिद्दीक साडी की खरीद बेच का कारोबार करने वाला एक बुनकर है। जो शराफत से अपनी ज़िन्दगी बसर करता है। वही शफीक के रास्ते कभी सीधे नही थे। उसकी पूरी ज़िन्दगी ही एक पेचीदा दलील जैसी है। जानता तो काफी समय से शफीक को मै हु जब उन्होंने ईदगाह के मामले में “रायता” फैलाया था। जब बलात्कार के मामले में जेल गया था। मगर इस विवादित इंसान का बयान खुद को नॅशनल मीडिया कहने वाले अपने यहाँ सुर्खियों में दिखाए और सनसनी फैलाये ये सोच में कभी नही आया था। फिलहाल ये बता दू कि जिस व्यक्ति को मौलाना शफीक मुजद्दीदी बनाकर आपका पसंदीदा चैनल आपके सामने पेश कर रहा है उसका नाम शफीक अंसारी है और बलात्कार के एक मामले में वह ज़मानत पर जेल से बाहर है।
शफीक अंसारी से शफीक मुजद्दीदी का सफ़र स्थानीय नागरिक बड़े चाव से बताते है। चाय पान की दुकानों पर शफीक के शौक का चर्चा-ए-आम है। शफीक ने कन्नौज के निवासी मौलाना आफाक से मुरीदी (धार्मिक शिष्य) लेने के बाद खुद को स्वयम्भू बाबा घोषित कर दिया। इसके बाद मस्जिद सलामत अली में ये आकर नमाज़ पढाने लगा और मदरसे में लडकियों को पढाने लगा। इस दरमियाना खुद की शादी भी प्रेम विवाह किया और काफी समय तक उड़ीसा में रहा था। जहा से आने के बाद इसने अपने मुरीद (धार्मिक शिष्य) बनाने शुरू कर दिए और दुआ, तावीज़ भी शुरू कर दिया। चर्चा तो ऐसी भी है कि शफीक का दावा है कि अगर कोई आपसे मुहब्बत नही करता है तो वह ऐसी तावीज़ देगा कि वह मुहब्बत कर बैठेगा। आप हमारे कहने का मतलब समझ सकते है।
बहरहाल, ईदगाह में इसके द्वारा मसलक की अजीब-ओ-गरीब जंग छेड़ दिया गया। जहा इसने बड़े बड़े फतवे मौखिक देना शुरू कर दिया था। जिसके बाद ईदगाह में पुलिस बल की तैनाती सौहार्द कायम रहे इस लिए हो गई। कई बार इसके कारण ईदगाह और उसके आसपास दो गुटों में विवाद हुआ। ये आपसी गुट बाटने के साथ मदरसे में पढने वाली लडकियों के साथ इसकी हरकत की काफी शिकायते आने लगी। इस दरमियान लल्लापुरा निवासी एक किशोरी ने इसकी हरकतों से आखिर आजिज़ होकर इसके खिलाफ बलात्कार का मुकदमा दर्ज करवाया। जिसमे पुलिस ने इसको गिरफ्तार किया और काफी समय तक ये जेल में था। वही जेल सूत्रों की माने तो खाने को लेकर हुवे कैदियों और जेलर के बीच विवाद की असली जड़ ये रहा और इसने कैदियों को भड़काया था। मगर जेल पुलिस ने इसके ऊपर कोई कार्यवाही नही किया था जिसके कारण इस बात पर हम बहुत जोर नही दे सकते है। वैसे जेल सूत्र बताते है कि बाद में समझदार कैदियों ने इसको समझाया बहुत ढंग से था।
इसके जेल में रहने के दरमियान पड़ी ईद भी इसने जेल में गुजारी थी। जेल में उस समय बंद एक कैदी ने हमसे बताया कि ईद के नमाज़ के लिए जेल में एक इमाम की नियुक्ति है और वह ईद की नमाज़ पढ़ाने के लिए आते है। उनके आने के पहले ही शफीक मुसल्ले पर खड़ा होकर नमाज़ पढ़ना चाह रहा था तो कैदीय ने शफीक की बढ़िया खातिरदारी कर डाली थी और उस समय कहा गया था कि जो खुद ज़िनाकारी (बलात्कार) का आरोपी है उसके पीछे नमाज़ कैसे होगी? जेल से आने के बाद इसने ईदगाह मदरसे में वापसी करना चाहा तो स्थानीय नागरिको और मौलाना बातिन ने इसका विरोध किया और मस्जिद की इमामत से रोक दिया।
बताया जाता है कि तभी से ये मौलाना बातिन नोमानी और अंजुमन मसाजिद इन्तेज़मियाँ कमेटी से नफरत करता है और तभी से उनके खिलाफ नफरती ज़हर उगला करता है। एक ऐसा शख्स जिसके ऊपर खुद ज़ेनाकारी (बलात्कार) का आरोप है वह शख्स आज कौन मुसलमान है कौन नही है इसका प्रमाणपत्र चाय पान की दुकानों पर तकसीम किया करता है। आज वो लोगो को तावीज़ बना कर देता है। मगर सनसनी फैलाना मकसद हो तो बलात्कार आरोपी, हत्यारोपी से लेकर चोरी और पाकेटमारी के आरोपियों के बयान भी अगर मस्जिद के खिलाफ मिल जाए तो जमकर उसको चलाया जा सकता है। कमाल है साहब टीआरपी का खेल।
बहरहाल, शफीक अपना पुश्तैनी मकान में हिस्सा लेकर अलग हो चूका है। परिवार इससे बहुत मतलब नही रखता है, ऐसा हमारे सूत्र बताते है। पुश्तैनी जायदाद में हिस्सा लेने के बाद काफी समय इसका पड़ाव पर गुज़रा और आज कल मुहब्बत की तावीज़ दालमंडी इलाके में तकसीम करते हुवे शफीक को देखा जा सकता है। आप खुद समझ सकते है कि आखिर आपका पसंदीदा चैनल आपको मस्जिद-मन्दिर के बीच सनसनी फैलाने के लिए कैसे कैसे हथकंडे अपना रहा है। खुद को मौलाना शफीक मुजद्दीदी बताने वाले के सम्बन्ध में अभी और भी बाते बाकी है।
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