शाहीन बनारसी/ईदुल अमीन
वाराणसी: हिन्दू पक्ष द्वारा श्रृंगार गौरी ज्ञानवापी के सर्वे के दौरान वजूखाने में शिवलिंग मिलने के दावे को सही मानते हुए द्वारिका एवं ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने चार जून शनिवार को जलाभिषेक करने का एलान एक पत्रकार वार्ता में किया है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के इस बड़े एलान के बाद एक और विवाद जन्म लेता हुआ दिखाई दे रहा है। बताते चले कि इसके पूर्व स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का नाम चर्चा में उस समय आया था जब अदालत के हुक्म से मूर्ति विसर्जन नदियों में होना प्रतिबंधित हुआ था। जिसके बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती अपने शिष्यों और बटुको के साथ धरनारत हुवे थे। धरने के दरमियान पुलिस द्वारा लाठीचार्ज हुई थी। जिसके बाद निकली प्रतिकार यात्रा हिंसक हो गई थी।
इसके बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती भाजपा के मुखालिफ बयान देते रहे। विश्वनाथ कारीडोर निर्माण के दरमियान भी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शासन और प्रशासन की आलोचना किया था। इसके बाद लंका थाना क्षेत्र में कुछ शिवलिंग मलवे के ढेर पर मिले थे जिसके बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इस सरकार की तुलना औरंगजेब से करते हुवे इसका विरोध दर्ज करवाया था जिसके बाद उक्त शिवलिंग सभी लंका थाने में सुरक्षित है। जिसके दर्शन पूजन की अनुमति स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को प्राप्त है और उनके द्वारा इन सभी शिवलिंग के पूजन और जलाभिषेक हेतु एक पुजारी नियुक्त किया गया है। अब इस मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के इस बयान से सनसनी फ़ैल रही है।
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