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ज्ञानवापी मस्ज़िद सर्वे वीडियो लीक प्रकरण: विश्व वैदिक सनातन संघ ने गृहमंत्री को पत्र लिख किया सीबीआई जांच की मांग, बोले मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता, प्रसिद्धि पाने का तरीका है ये मांग, हम अदालत से ये मांग पहले कर चुके है

ए0 जावेद/ईदुल अमीन

वाराणसी: ज्ञानवापी मस्ज़िद के सर्वे का वीडियो लीक प्रकरण में अब एक बड़ा मोड़ आया है, जब इस वीडियो लीक प्रकरण की विश्व वैदिक सनातन संघ ने सीबीआई जांच की मांग की। बताते चले कि जिस दिन वादिनी मुकदमा को अदालत द्वारा सर्वे के वीडियो की कॉपी मिली थी, उसी दिन प्रति मिलने के कुछ ही देर के बाद इस वीडियो की चुनिन्दा हिस्से मीडिया में लीक हो गए और सोशल मीडिया पर वायरल होने लग गए।

वीडियो लीक होने के बाद चारो वादिनी मुकदमा ने एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर अपने चारो लिफ़ाफ़े प्रस्तुत करते हुए दावा किया था कि उनके लिफ़ाफ़े अभी तक खुले भी नहीं है और यह वीडियो लीक उनके द्वारा नहीं किया गया है। ये चारो लिफ़ाफ़े दुसरे दिन अदालत को वादिनी मुकदमा द्वारा वापस भी किया गया मगर अदालत ने लिफाफे नहीं लिए और वीडियो लीक से अदालत नाराज़ भी दिखाई दी। वही दूसरी तरफ मस्ज़िद कमिटी के वकील अभय नाथ यादव ने अदालत से इस मामले में सख्त कार्यवाही कि मांग की है तथा कहा कि ये चुनिन्दा लीक एक बड़ा षडयंत्र है।

इसके बाद जितेन्द्र सिंह विसेन ने अधिवक्ता हरिशंकर जैन की पार्टी से त्यागपत्र देते हुए हरिशंकर जैन और उनके पुत्र विष्णु जैन से कता ताल्लुक कर लिया। आज जितेन्द्र सिंह विसेन ने पत्र लिख कर वीडियो लीक प्रकरण की सीबीआई से जाँच करवाने की मांग किया है। इस पत्र की प्रति राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश तथा डीजीपी भेजी गई है। इस पत्र में जितेन्द्र सिंह विसेन ने मांग किया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए प्रकरण की जांच सीबीआई से करवाना अति आवश्यक है। उन्होंने इस पत्र में हरिशंकर जैन, विष्णु जैन एवं अन्य लोगो के साथ खुद के भी गतिविधियों की जांच सीबीआई से करवाने की मांग किया है।

इस सम्बन्ध में मस्ज़िद कमिटी के अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने हमसे फ़ोन पर बात करते हुए कहा कि इस वीडियो लीक प्रकरण में जांच की मांग हमने अदालत में पहले ही किया हुआ है। जितेन्द्र सिंह विसेन द्वारा गृह मंत्री से सीबीआई जांच की पत्र लिख कर मांग करना केवल खुद की प्रसिद्धि पाने का एक ज़रिया है क्योकि मामला जब अदालत में विचाराधीन है तो इसमें प्रधानमंत्री, गृहमंत्री अथवा मुख्यमंत्री किसी प्रकार का कोई निर्देश नही दे सकते है। यदि जितेन्द्र सिंह विसेन को जांच की मांग करना था तो अदालत से किया होता। यह केवल प्रसिद्धि पाने का तरीका मात्र है। हमने अदालत से मामले की जाँच करके दोषियों को दण्डित करने की मांग किया है।

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