तारिक़ आज़मी
वाराणसी: हमारे एक बड़े करीबी और शहर की एक मुआज्ज़िज़ शख्सियत ने मुझसे कहा था कि कभी एक की बात सुनकर उसका ही सच न माना करो। सिक्के का दूसरा पहलू भी जान लिया करो। वैसे ये बात तो हमारे दिमाग में थी ही मगर अमल बहुत कम होता था। शनिवार की रात मेरे पास एक फोन आता है और वह एक निर्माण के सम्बन्ध में मुझको जानकारी देना शुरू करते है। दुसरे दिन सुबह वह मेरे दफ्तर भी आये और कुछ दस्तावेज़ देकर बताया कि उसकी संपत्ति पर अवैध रूप से निर्माण करवाया जा रहा है।
मामला लगभग एक दशक पहले चर्चा और विवाद में तब आया था जब मुहम्मद अरशद के द्वारा अपने भवन का बिल्डर एग्रीमेंट के द्वारा निर्माण करवाया जाने लगा। जानकार बताते है कि इस निर्माण का बिल्डर एग्रीमेंट स्थानीय ठेकेदार थुन्नी, हरिस और प्रदीप सिंह ने किया था। वर्ष 2013 में हुवे इस एग्रीमेंट में तीनो बिल्डर के द्वारा निर्माण कार्य शुरू करवाया गया तो दुसरे पक्ष नसीमा खातून ने निर्माण पर यह कहकर आपत्ति किया कि अभी बटवारे का निशान नही लगा है तो फिर कैसे निर्माण होगा? जिसके बाद मामले में आपसी सुलह समझौता की बात होने लगी।
बहरहाल, इसके बाद अरशद मिया की आलिशान इमारत मय बेसमेंट वगैरह बन कर तैयार हो गई। बेसमेंट और दुकाने बेच कर अरशद मिया के पास अब पैसे आ गए। उधर अपने मायके में सर छिपाने की जगह लिए बैठी थी। मायके में बटवारा भाइयो का हो गया और नसीमा अपनी ज़िन्दगी भर की कमाई जों तिनका तिनका जुडी थी के साथ सर छिपाने का एक आशियाना बनाना चाह रही है। जिसके बाद अब अरशद मियाँ के पेट में दर्द चालू है और वह काम रोको अभियान में जुटे है। उनका कहना है कि मामला बटवारे का अदालत में विचाराधीन है।
हमने इस भवन के लिए वाराणसी विकास प्राधिकरण के दस्तावेज़ तफ्तीश किया तो वहा खुद अरशद का निर्मित भवन विवादों में घिरा दिखाई दे रहा है। ये एक लम्बी दास्ताँ है जिसको अगले अंक में आवश्यकता पड़ने पर बताया जायेगा।
सवालों में पंचायत करने वाले
इस पंचायत को आज से एक दशक लगभग पहले हल करवाने वालो पर भी अब सवाल उठ रहे है कि आखिर वह सभी जो मुआज्ज़िज़ शख्सियते इस मामले को हल करवाने के लिए बैठे थे वह कैसे मामला हल करवाए थे कि आज एक दशक के लगभग होने को है और अभी तक इस मामले का समाधान जो लिखवाया गया था नही हुआ। या फिर शायद सिर्फ एक अय्यारी अरशद के तरफ से हुई थी कि मामले में पहले अपना बनवा लो बाद मे इनको परेशान किया जायेगा। हो तो यही रहा है। वही अरशद से जुड़े एक सूत्र ने बताया है कि अरशद चाहते है कि यह लोग अपना हिस्सा उनको बेच कर चले जाए।
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