शाहीन बनारसी/करन कुमार
वाराणसी: वाराणसी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष ईशा दोहन के द्वारा अक्सर इस बात का दावा किया जाता है कि निष्पक्ष और पूरी तरफ लीगल निर्माण कार्य ही होता है। मगर ज़मीनी हकीकत ये है कि उनके अधिनस्त ही उनको मिस गाइड किया करते है। इसके कई उदाहरण शहर में देखने को मिलते है। दावो के इतर ज़मीनी स्तर पर सभी दावे फेल ही दिखाई देते है।
पिछले एक माह से अधिक समय से चल रहे इस अवैध निर्माण पर प्राधिकरण के स्थानीय अधिकारियो और कर्मचारियों की नज़र नही पड़ी हो ऐसा हो नही सकता है। मगर प्राधिकरण के कर्मचारियों की आँखों पर या तो नियम न देखने के लिए बिल्डर ने पट्टी बाँध रखा है। या फिर शायद सियासत में बड़ी पकड़ रखने वाले एक नए नए उभरे इस भवन के कथित एग्रीमेंट में 35 फीसद के कथित पार्टनर ने अपनी सियासत में पकड़ की पट्टी बाँध दिया है।
वाराणसी विकास प्राधिकरण की वीसी ईशा दोहन के द्वारा लाख प्रयास किया जा रहा है कि निर्माण वैध रहे, नियमो का पालन हो। मगर ज़मीनी स्तर पर ये सभी प्रयास और दावो को यह चेतगंज वार्ड की सकरी गली में होता अवैध निर्माण मुह चिढाता दिखाई दे रहा है। मालूम नही जेई साहब इस खबर के बाद भी जागेगे अथवा नही, प्राधिकरण के जोनल जो सरकार द्वारा दिला सीयुजी नम्बर नही उठाते है इस अवैध निर्माण का रुख करेगे अथवा नही। क्योकि सूत्र बताते है कि इस अवैध निर्माण को रोकने के लिए सत्तानशी कुवतो की पैरवी को भी नज़रअंदाज़ करना होगा।
हमने इस सम्बन्ध में वाराणसी विकास प्राधिकरण के स्थानीय जेई से लेकर सचिव स्तर तक बात करने का प्रयास किया। मगर सचिव साहब ने एक बार में ही फोन काट दिया। शायद किसी बैठक में व्यस्त हो। और जेई और जोनल साहब सीयुजी नम्बर उठाते ही नही है। फिर इस मामले में बयान किस अधिकारी से ले ये हमारे भी समझ में नही आ रहा है। तो बिना बयान के ही खबर लिख देते है। वैसे देखने वाली बात ये होगी कि क्या प्राधिकरण इस पर कोई एक्शन लेता है अथवा नही। जुड़े रहे हमारे साथ क्योकि इस बार हम आपको ये बतायेगे कि कथित रूप से खुद को सत्ता का करीबी बताने वाला बिल्डर इस मामले को ठन्डे बस्ते में डलवा देता है अथवा नियम की जीत होती है।
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