शाहीन बनारसी
वाराणसी: वीडीए की वीसी साहिबा इशा दोहन द्वारा अक्सर न्यायसंगत कार्य होने का दावा सामने आता रहता है। इसके बावजूद भी होने वाली दुर्घटनाओ के बाद दिखाई देता है कि वाराणसी विकास प्राधिकरण किस हद तक लापरवाही करता है। लापरवाही सामने आने के बाद तबादला एक्सप्रेस चलती है। दो चार दिन को मामला ठंडा रहता था। उसके बाद फिर ठन्डे बस्ते में चला जाता है।
चलिए मुद्दे पर आते है। आज एक बड़ी दुर्घटना सर्वशक्तिमान जिसको हम ईश्वर अल्लाह या फिर भगवान् और गॉड कहकर पुकारते है उसके करम से बच गई है। दालमंडी स्थित घुनघरानी गली के एक बड़े निर्माणाधीन भवन के बड़े से निर्माणाधीन बेसमेंट के खुदे गड्ढे में आज बारिश का पानी पूरी तरह से लबालब भर गया। जिसके कारण आसपास की गलियाँ बैठ गई। तस्वीरे इस बात की गवाह है कि इसका आसपास के कई भवनों पर क्या असर पड़ा होगा। शुरू हुवे बारिश के मौसम में ये गड्ढा आसपास के भवनों एक लिए चिंता का सबब बन गया।
बताया जा रहा है कि निर्माणाधीन भवन शहंशाह आब्दी का है। सूत्रों द्वारा बताया जाता है कि शहंशाह आब्दी चौक के जेई इकबाल हाशमी के खास जानने वालो में है, शहंशाह आब्दी के द्वारा एक बड़ा बेसमेंट बनवाया जा रहा है जिसके बाद इसके ऊपर एक कमर्शियल इमारत बनेगी। मगर स्थानीय जेई साहब आब्दी साहब का ख़ास ख्याल रख गए होंगे, तभी तो दालमंडी के इस बड़े निर्माण पर उनकी नज़र नही पड़ रही है। या फिर पड़ना नही चाहती है। सिर्फ ये सोच कर ही आम शहरी का दिल दहल जाता है कि अगर ये गड्ढा अगल बगल के भवन को नुक्सान पंहुचा देता तो फिर इस दुर्घटना का असली ज़िम्मेदार कौन है? क्या शहंशाह आब्दी होंगे या फिर स्थानीय जेई साहब होंगे। कोई अपना भवन आलिशान से आलिशान बनवाये, बेशक उसकी तरक्की से किसी को कोई एतराज़ नही होगा। मगर उसकी हवेली के साए में किसी अन्य गरीब की साँसे घुटने लगे तो ये बात कहा तक जायज़ है।
ईशा दोहन जी सोचे एक बात सिर्फ। शहंशाह आब्दी के इस निर्माणाधीन भवन के ठीक सटा हुआ भवन शमशेर पहलवान का है। 4 मंजिला ये इमारत भले खुद भी अवैध है मगर बात इतनी समझे कि इसकी परदे की दिवार महज़ तीन इंच की है। एक भी पिलर दिखाई नही देता है। अगर मिटटी इस साइड की बैठती तो फिर ये दुर्घटना कितनी भयावाह होती। एक अवैध निर्माण के कारण दूसरा अवैध निर्मित हो चूका भवन धराशाही हो जाता। फिर बात होती दुर्घटना की। सोच के रूह काँप जाती है कि इस भवन को कोई नुक्सान पहुचता तो क्या होता?
क्या कहते है स्थानीय पार्षद सलीम
इस मामले में स्थानीय पार्षद मोहम्मद सलीम ने हमसे फोन पर बातचीत करते हुवे कहा कि हमारे प्रयास से नगर निगम ने पूरी पुख्ता गली का निर्माण करवाया गया था। हो रहे अवैध निर्माण के कारण बड़े गड्ढे किये गए है। उस गड्ढे में पानी भरा और गली बैठ गई। ये वाराणसी विकास प्राधिकरण की लापरवाही है कि अवैध निर्माण पर रोक नही लगा पा रही है। हम जल्द ही क्षतिग्रस्त हुई गली का निर्माण करवायेगे।
क्या कहते है वीडीए के जोनल अधिकारी
हमने इस सम्बन्ध में वाराणसी विकास प्राधिकरण के जोनल अधिकारी चौक के नम्बर पर संपर्क किया। उनके सीयुजी नम्बर पर लगातार घंटी बजी मगर फोन नही उठा। वही स्थानीय जेई इकबाल हाशमी से बात करने का कोई औचित्य ही नही बनता है क्योकि सूत्रों की माने तो ये अवैध निर्माण कार्य करवाने वाले शहंशाह आब्दी उनके ख़ास परिचितों में से एक है।
क्या कहता है मौसम:
आप हमारी बात को बेतुका न समझे। भाई मौसम की मार झेल कर गली जब बैठ सकती है तो अगल बगल के भवन के बार में सोच कर हमने सोचा मौसम का हाल बता दे। देखिये मौसम विभाग को कहता है इकबाल हाशमी साहब वो कहता है कि कल दोपहर 12:30 से लेकर दोपहर 2:30 तक बारिश होने की संभावना 60-75 फीसद है। वैसे ये मौसम विभाग है, बढिया भविष्यवाणी देता है। हम मौसम का हाल इसलिए लिख दिया कि पैच मैनेजमेंट का अगर काम होना होगा तो इस दरमियान किया जा सकता है। वैसे अभी प्लाई रखकर धंसी गली को ढक दिया गया है। शहंशाह आब्दी साहब ने ये नेक काम किया है। इसके लिए वह बधाई के पात्र है क्योकि कोई झटके में इस गड्ढे के अन्दर न चला जाए। वैसे तो पार्षद सलीम ने हर एक गली नुक्कड़ पर स्ट्रीट लाइट लगवा दिया है। मगर बिजली का क्या है? वो तो वक्त देखती नही कब चली जाए। जल्दी जल्दी में मैदागिन से मजदूर बुलाया गया है. बड़े बड़े गड्ढे को भरने का काम हो सकता है
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