तारिक़ आज़मी
ज्ञानवापी प्रकरण कुछ लोगो के लिए मुफ्त की शोहरत पाने का जरिया बना हुआ है तो वही आपके पसंदीदा चैनल आपके सामने सनसनी भरी खबरों को लाकर खुद की टीआरपी बटोर रहा है। इस दरमियान ये भी ख्याल नही रहता है कि जिसके बयान को लेकर सनसनी फ़ैल रही है वह बयान देने वाला शख्स खुद की सामाजिक स्थिति क्या रखता है। एक का मकसद सनसनी फैलाओ हो जाता है तो दुसरे का मकसद शोहरत कमाओ।
ऐसा ही एक कार्यक्रम हमारे नजरो से कल गुज़रा जिसमे वाराणसी के लल्लापुरा क्षेत्र निवासी बहुविवादित एक शख्स जो खुद को मौलाना होने का दावा करता है वह विवादित बयान दे रहा है। शफीक नाम के इस शख्स को लोग मौलाना शफीक मुजद्दीदी नाम से जानते है। बड़ी बड़ी बाते और बड़े बड़े दावे करने वाले शफीक ने मौलाना बातिन को इस्लाम से ख़ारिज तक बता डाला और खुद इस्लाम के सिपहसालार बन बैठे। शफीक फिलहाल ज़मानत पर जेल से बाहर है और उनके ऊपर बलात्कार का मुकदमा है। इस मुक़दमे में वह जेल भी गए थे और अब ज़मानत पर है। बेतुके और विवादित बयानों को लेकर शफीक अक्सर चर्चा का केंद्र रहते है। हमने एक खबर उनके सम्बन्ध में चेप डाली कि जो आज दुसरे का दामन दागदार होने की बात कह रहा है उसका खुद का दामन बदनुमा है।
फिर क्या था? हमारी खबर के प्रकाशन के बाद से मौलाना शफीक का जलाल सातवे आसमान पर पंहुचा गया। हमारे सहयोगी सलीम को उन्होंने फोन करके ज़बरदस्त धमकी हमारे लिए भेजवा दिया कि अगर हमने उनकी खबर को डिलीट नही किया तो वह ये कर डालेगे, वो कर डालेगे। सबसे दमदार पंचिंग लाइन उनकी थी जिसमे वो हमारे रोज़गार से हमको परेशान करने की बात कह रहे थे। धमकी का आलम ये था कि उन्होंने साफ़ साफ़ कहा कि हमारे पास दूसरा रास्ता है। कल से वह खुद अपनी रोज़ी के लिए परेशान हो जायेगे। इस दुसरे रास्ते का तात्पर्य उनका जादू टोन से था। बातचीत में उन्होंने कहा कि तारिक आज़मी मुस्लमान नही है। वह देवबंदी है। आप इस बात पर तीन बार जोर जोर से हंस सकते है।
अजीब बात है गुरु, अब ऐसे लोग इस्लाम का लाइसेंस देंगे जो इस्लामी शरियत का अलिफ़, बे नही जानते है। हमने सोचा थोडा सा मौलाना बन कर फिर रहे बलात्कार आरोपी शफीक को इस्लाम की शरियत समझा दू। तो मियाँ शफीक तुमने हमको इस्लाम से खारिज बताया। चलो शरियत की थोड़ी बात करता हु तुमसे। वैसे शरियत तो तुम्हारे बस की बात नही है। फिर भी थोडा बताता हु। मियाँ कुरआन में अल्लाह ने कई जगह इरशाद फ़रमाया है कि रोज़ी देने वाला वो है। रिज्क पर उसका अख्तियार है।
कुछ आयातों का ज़िक्र करता हु। सुरह अल-इमरान पारा-3 आयत नम्बर 37 में अल्लाह इरशाद फरमाता है कि वो जिसको वो चाहता है बेहिसाब रिज्क अता करता है। इसी सुरह में आयत नम्बर 27 भी पढ़ लीजियेगा। सुरे हुद पारा 12 आयत नम्बर 06 में अल्लाह इरशाद फरमाता है कि “मैंने ज़मीन पर जितनी भी जानदार चीज़े भेजी है उसके रिज्क की ज़िम्मेदारी मेरी है।” ऐसा नही कि सिर्फ 3 जगह इसका ज़िक्र हुआ हो। इसका ज़िक्र कुरआन में कई जगह है। तो शफीक जब अल्लाह रिज्क की ज़िम्मेदारी ले रहा है तो तुम क्या खुद को खुदाई दावा कर रहे हो कि मेरा रिज्क तुम छू छा करके छीन लोगे।
अब आमाल की बाते करे तो रहमानी और सिफलि अमल का ज़िक्र बुजुर्गो ने किया है। रहमानी अमल में ऐसा कोई जरिया नही है जहा कोई किसी को परेशान करने के गरज से उसके रिज्क की बंदिश कर दे। अब तुम फिर ये कहो अपने मुह से कि तुम सिफ्ली अमल करते हो। रही बात कि तुम कितने बड़े बाबा हो गये हो कि किसी को अपने छू छा से परेशान कर सकते हो। कर सकते हो तो कर लो, क्योकि मुझको पता है तुम्हारे जैसे कठमुल्ला बहुतेरे इस समाज में घूम रहे है जिनको अपना भविष्य नही पता है और दुसरे के मुस्तकबिल की पेशन्गोई करते फिरते है। सुनो मौलाना शफीक मैं तुम्हारे खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा सकता हु। मगर ऐसा करूँगा नही, क्योकि मुझको अपने कलम पर पूरा ऐतबार है। वही काफी है तुम्हारे जैसे धमकी देने वालो और लोगो के जज्बातों से खेलने वालो का असली चेहरा दिखाने के लिए।
वैसे शफीक मियाँ तारिक़ आज़मी का सूत्र कमज़ोर नही होता है। जिस सूत्र ने मुझे तुम्हारे सम्बन्ध में जेल के अन्दर की बात बताया है, वह जेल में तुम्हारे साथ ही तो बंद था। वैसे सुप्रीम कोर्ट का हुक्म है कि पत्रकार अपने सूत्र बताने के लिए बाध्य नही है। फिर भी इतना बता देता हु कि उस सूत्र को देख कर आप समझ जायेगे कि सूत्र बड़ा मजबूत है। वैसे ये धमकी जादू टोन की उसको देना जिसको इसका असर पड़े। मुझको ऐसी बातो का असर नही पड़ता है। मुझको मसलक में न बाटो इन्सान हु, निष्पक्ष हु तो निष्पक्ष रहूगा। अंगेजी में कहते है गुड नाईट, और उर्दू में शब-ब-खैर, हिंदी में शुभरात्रि। अब रात भर बैठ कर मेरे नाम पर ये सब छू छा करते रहो। मुझ पर ऐसी धमकियों का असर नही पड़ता है, वैसे अगला इन्टरव्यूव तुम्हारे पीर का जल्द आयेगा, इसी रेकार्डिंग के हवाले से।
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