यूपी में बुल्डोज़र की कार्यवाही पहुची सुप्रीम कोर्ट, जमियत-ए-ओलमा-ए-हिन्द ने दाखिल किया याचिका, कहा कानूनी प्रक्रिया के बिना मकानों को न ढाहने का दे अदालत सरकार को हुक्म
आदिल अहमद
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में बुलडोज़र की कार्यवाही का मामला अब सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुच गया है। आज बुलडोजर के इस्तेमाल के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है। अपनी याचिका में संगठन ने कानून की प्रक्रिया के बिना मकानों को न ढहाने के निर्देश देने की मांग की है, साथ ही मनमानी करने वाले अफसरों पर कार्रवाई की भी मांग की है।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अपनी अर्जी में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया जाए कि वो कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना कोई और तोड़फोड़ न करे। अर्जी में यूपी सरकार द्वारा बनाए गए कानून और नगरपालिका कानूनों के उल्लंघन में ध्वस्त किए गए घरों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के निर्देश देने की भी मांग की गई है। जमीयत के अनुसार वर्तमान स्थिति और भी चिंताजनक है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही उत्तर पश्चिमी दिल्ली में समान परिस्थितियों में एक दंडात्मक उपाय के रूप में की जा रही तोड़फोड़ पर रोक लगाने का आदेश दिया था।
गौरतलब है कि पैगंबर मोहम्मद पर की गई विवादित टिप्पणी के विरोध में बीते शुक्रवार को देश में कई जगह उग्र विरोध प्रदर्शन हुए थे। यूपी सरकार अब आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई करती नजर आ रही है। प्रयागराज में हिंसा के आरोपी माने जा रहे मोहम्मद जावेद उर्फ़ जावेद पम्प के मकान पर बुलडोजर चलाया गया। इस पर सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ओवैसी ने यूपी सरकार पर हमला करते हुए कहा था ‘यूपी के सीएम, अब उत्तर प्रदेश के चीफ जस्टिस बन चुके हैं। वो अब फैसला करेंगे कि किसका घर तोड़ना है।’
उन्होंने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश में कोर्ट और अदालतों में ताला लगा देना चाहिए और जजों को कह देना चाहिए कि वो कोर्ट न जाएं, क्योंकि अब अदालत की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि ये फैसला तो सीएम योगी करेंगे कि आखिरकार मुलजिम कौन है?।