तारिक़ खान
नई दिल्ली: केरल श्रमिको को सबसे अधिक मजदूरी देने वाला राज्य है। आरबीआई की एक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण, सामान्य कृषि और गैर-कृषि श्रमिकों की दैनिक मजदूरी के मामले में केरल सबसे आगे है। वहीं, इस सूची में इसके बाद आने वाले राज्यों और केरल में मजदूरी के बीच का अंतर भी काफी अधिक है।
आरबीआई रिपोर्ट 2020-21 में ‘दैनिक मजदूरी श्रेणी’ में केरल सबसे ऊपर है। रिपोर्ट में 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए ग्रामीण भारत में राज्यवार औसत दिहाड़ी की सूची दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, देश में निर्माण श्रमिकों, सामान्य कृषि श्रमिकों और गैर-कृषि श्रमिकों को सबसे अच्छा भुगतान केरल में किया जाता है। केरल का एक निर्माण श्रमिक को 362.2 रुपये के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले 829.7 रुपये औसत मजदूरी मिलती है। उत्तर प्रदेश और बिहार सहित 12 राज्य निर्माण श्रमिकों को राष्ट्रीय औसत से कम भुगतान करते हैं। केरल में सामान्य कृषि श्रमिक 309.9 रुपये के राष्ट्रीय औसत की तुलना में 706.5 रुपये कमाते हैं, वहीं पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश सहित 10 राज्य ऐसे मजदूरों को राष्ट्रीय औसत से कम भुगतान करते हैं। गैर-कृषि श्रमिकों द्वारा केरल में अर्जित औसत वेतन 677.6 रुपये है जबकि इसके लिए राष्ट्रीय औसत 315.3 रुपये है। अक्सर एक ‘मॉडल राज्य’ के रूप में प्रचारित किया जाने वाला गुजरात राज्य इन तीनों श्रेणियों में सबसे कम भुगतान करने वाले निचले पांच राज्यों की सूची में है।
न्यूज़क्लिक की रिपोर्ट को पढ़े तो यह जानकारी हासिल होती है कि केरल में न केवल इस तरह की मजदूरी की दर सबसे अधिक हैं, वहीं, इस सूची में इसके बाद आने वाले राज्यों और केरल में मजदूरी के बीच का अंतर भी काफी अधिक है। केरल में श्रमिकों को दी जाने वाली मजदूरी न्यूनतम मजदूरी और राष्ट्रीय औसत की तुलना में दोगुने से भी अधिक है। रिपोर्ट कहती है कि इसके केरल वो राज्य है, जहां विधायकों को दिए जाने वाले भत्ते देश में सबसे कम हैं। महाराष्ट्र और गुजरात जैसे उद्योगों वाले कई राज्यों में विधायकों को काफी अधिक भत्ते मिलते हैं, वहीं अपने श्रमिकों को भुगतान करने में ये राज्य बहुत पीछे हैं।
बीते दिनों दिल्ली में विधायकों के वेतन में 66 फीसदी की बढ़ोतरी के बाद से विभिन्न राज्यों में विधायकों को मिलने वाले वेतन को लेकर चर्चा शुरू हो गई। हालांकि श्रमिकों को मिलने वाली मजदूरी के सामने यहां केरल के परिप्रेक्ष्य में एक विपरीत आंकड़ा देखने को मिलता है। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश राज्य विधायकों को प्रतिमाह 1 लाख रुपये से अधिक का भुगतान करते हैं, जबकि नौ राज्य एक लाख से कम का भुगतान करते हैं। विधायकों के वेतन में तेलंगाना सबसे आगे है। विधानसभा की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, यहां विधायकों को प्रति माह 2,30,000 रुपये मिलते हैं। इसके बाद मध्य प्रदेश है, जहां विधायकों का मासिक वेतन 2,10,000 रुपये है। इसके बाद कर्नाटक के विधायक 2,05,000 रुपये प्रति माह पाते हैं।
वहीं, दूसरी ओर देश में केरल के विधायकों को सबसे कम प्रतिमाह 43,200 रुपये तनख्वाह मिलती है। इसके बाद त्रिपुरा के विधायक हैं, जिन्हें 48,000 रुपये प्रतिमाह दिया जाता है। विधायकों को कम वेतन देने वाले राज्यों की सूची में इसके बाद सिक्किम (52,000 रुपये), राजस्थान (55,000 रुपये), असम और मेघालय (60000 रुपये), मिजोरम (65,000 रुपये) आते हैं। आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल, गुजरात, गोवा, मणिपुर, नगालैंड, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु और पुदुचेरी के विधायकों को प्रतिमाह एक से डेढ़ लाख रुपये के बीच वेतन मिलता है। उत्तर प्रदेश के विधायकों को प्रतिमाह 1,87,000, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर और महाराष्ट्र में 1,60,000 प्रतिमाह का वेतन भुगतान होता है।
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