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सत्ता के कथित संरक्षण वाला बिल्डर कहे हर बार, वीडीए जेई है साढू हमार, चेतगंज के सरायगोवर्धन स्थित भवन संख्या 4/192 पर नोटिस के बावजूद भी करते रहो अवैध निर्माण

तारिक़ आज़मी

वाराणसी: वाराणसी विकास प्राधिकरण की वीसी साहिबा लाख कोशिश कर रही है कि किसी दबाव और भ्रष्टाचार के बगैर ही प्राधिकरण के परिक्षेत्र में निर्माण नियम संगत होते रहे। मगर दुसरे तरफ उनके अधिनस्त है कि उनका जुगाड़ डॉट काम चलता ही रहता है। कभी धन बल पर तो कभी सत्ता का संरक्षण होने की भभकी पर वो काम जारी रखवाए रहते है। इसके कई एक उदाहरण वीसी साहिबा के सामने आ चुके है कि वर्ष 2020 में सील भवन पर ज़बरदस्त निर्माण हुआ। मगर जब निर्माण एक बड़ी दुर्घटना का कारण बना तब वाराणसी विकास प्राधिकरण की नींद टूटी और कार्यवाही शुरू हुई।

ऐसा ही हाल शहर में हर तरफ आपको मिल जाएगा। सत्ता का कथित संरक्षण होने की बात करने वालो की कड़ी बहुत लम्बी है। फलाने भईया का निर्माण है। तो ढीमकाने भईया ने कहा है निर्माण करो हम वीडीए को देख लेंगे। ऐसा ही एक अवैध निर्माण चेतगंज के सरायगोवर्धन स्थित भवन संख्या 4/192 का चल रहा है। एक दो नही कई विवादों के बावजूद एक तरफ जहा पुलिस की आंखे सत्ता के कथित संरक्षण की बात सामने आने के बाद बंद है। वही दुसरे तरफ वाराणसी विकास प्राधिकरण ने नोटिस के बाद कोई आगे की कार्यवाही नही किया। बड़ी संदेहास्पद स्थिति सत्ता के कथित संरक्षण की होती है अथवा फिर प्राधिकरण के कर्मियों की नज़र आ रही है।

छोटे से एक दुकानदार से चंद महीनो में ही करोड़पति बिल्डर बने इस भवन के ठेकेदार की माने तो उनका साढू वाराणसी विकास प्राधिकरण में कर्मचारी है। सब साहब लोगो को मैनेज कर लिया है। साहब लोग है आंख बंद कर चुके है। दुसरे तरफ पुलिस है कि भवन के विरुद्ध इस संपत्ति के बिकवाल द्वारा मिलने वाले शिकायती प्रार्थना पत्र को ही नज़रअंदाज़ किये पड़ी है। भवन का बिकवाल कहता है कि मेरे 12 लाख बकाया है। हकीकत पुलिस भी जानती है कि जिस संपत्ति को 42 लाख में खरीदने की बात हुई है, वह संपत्ति असल में एक करोड़ 12 लाख की बिकी है। खुल्लम खुल्ला मनी लांड्रिंग का केस स्थानीय चौकी इंचार्ज के सामने है। मगर चौकी इंचार्ज साहब इसको नज़रअंदाज़ किये बैठे है। करेगे भी कैसे उनके ऊपर भी सत्ता का कहा जाता है बड़ा दबाव है।

बहरहाल, इतने सारे तथ्यों के बाद भी पुलिस शांति के साथ निर्माण को होने दे रही है। वाराणसी विकास प्राधिकरण अपनी आंखे बंद किये है। एंटी मनी लांड्रिंग का एक बड़ा मामला चौकी इंचार्ज की जानकारी में है जिसमे बिकवाल ने खुद दरोगा जी को बताया है कि उसने डील 1 करोड़ 12 लाख में किया और लिखा पढ़ी महज़ 42 लाख की हुई है। फिर भी पुलिस कोई सख्ती नही दिखा रही है। तो इस बात को बल मिलता है कि सत्ता से सम्बन्धित जिन नामो की चर्चा बिल्डर कर रहा है, वह नाम शायद संरक्षणदाताओं में शामिल होगा। देखने वाली बात होगी कि प्राधिकरण जिस बिना दबाव के काम करने का दावा करता है, वह कितना सच्चा है या फिर है भी कि नही?

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