Special

वाराणसी: मदनपुरा स्थित सदानंद बाज़ार में राम-जानकी मंदिर संपत्ति बिक्री प्रकरण: महमूद मियाँ, आमिर मलिक और पुजारी जगदीश जी फिर ये बताये कि जिस मूर्ति का ज़िक्र इस अदालत के कागज़ में है वह मूर्तियाँ कहा है?

तारिक़ आज़मी

वाराणसी के मदनपुरा इलाके में स्थित सदानंद बाज़ार में भवन संख्या डी0 43/73-74 जिसको भगवान के नाम उपहार करते हुवे कैलाशनाथ को अधिकार दिया कि उक्त भवन से होने वाली आय के माध्यम से वह अपना खर्च आजीवन अपने व परिवार के साथ चला सकता है। इसके एवज में उसको मन्दिर में भगवान् के सेवईत की तरह काम करना होगा। सामदेई का वसीयतनामा 1 नवम्बर 1965 को तत्कालीन चीफ सब रजिस्ट्रार वाराणसी के यहाँ बही संख्या 3, के जिल्द संख्यां 652 के पृष्ठ संख्या 5 से 10 पर दर्ज किया गया। इसके बाद इस संपत्ति का विक्रय हुआ और बिक्री के बाद संपत्ति को लेकर सवाल खड़ा हुआ कि आखिर जिन कैलाश नाथ विश्वकर्मा और उनके पुत्रो की यह संपत्ति थी ही नही उन्होंने आखिर इसको बेच कैसे दिया?

वह नक्शा जो भवन की बिक्री के समय बना

जबकि इस वसीयतनामें के शरायत संख्या 3 में रामदेई ने साफ़ साफ़ लिखा कि कैलाश नाथ को ये अधिकार तो रहेगा कि वह संपत्ति से मिलने वाली आय से अपने परिवार को भरण पोषण कर सके। मगर वह संपत्ति को बेच नही सकता है और न ही इस संपत्ति को लीज़ पर दिया जा सकता है। मगर संपत्ति पहले फैय्याजुद्दीन, फैजान और अबू फैसल को बेचीं गई और दो माह पूर्व यह संपत्ति महमूद वगैरह को करोडो में बेच दिया गया। जिस सम्बन्ध में हमारी खबर का असर हुआ और एसीपी दशाश्वमेघ को इस मामले में जाँच सौंपी गई। जाँच के क्रम में मिल रही पुलिस सूत्रों से जानकारी के अनुसार उक्त संपत्ति से सटे स्थल पर बनी मन्दिर के पुजारी जगदीश शंकर दीक्षित ने पुलिस को बयान दिया है कि मंदिर को अथवा उसकी संपत्ति को कोई हानि नही हुई है। समस्त पूरी तरह सुरक्षित है।

सामदेई की वह रजिस्टर्ड वसीयत जिसमें इस भवन में मंदिर होने का ज़िक्र 1965 में किया गया था

अब सवाल ये उठता है कि हम उस मंदिर की बात ही कहा कर रहे है जो सार्वजनिक मंदिर के रूप में दुनिया के सामने है। हम तो उस मंदिर की बात कर रहे है जिसका ज़िक्र सामदेई ने अपने वसीयतनामे में किया था। राम जानकी की मूर्ति इस परिसर में थी इसका वर्णन 2007 के दस्तावेजों में हमारे पास उपलब्ध है। अब सवाल ये उठता है कि आखिर पंडित जगदीश शंकर दीक्षित इस मंदिर की बात क्यों नही कर रहे है और हकीकत क्यों नही बता रहे है कि इस भवन के अन्दर भी मंदिर थी। अगर आप सामदेई के वसीयतनामे को ध्यान दे तो देखेगे कि उन्होंने भगवान की पूजा अर्चना का ज़िक्र इस वसीयतनामे में किया है। वही इसके साक्ष्य हमको अदालत के उस सर्वे रिपोर्ट में भी मिल रहा है जो सप्तम सिविल जज (जू0डी0) के आदेश पर वाद संख्या 394/2001 में हुआ था। सर्वे कमीशन के रिपोर्ट की प्रति हमको रामबाबु विश्वकर्मा ने उपलब्ध करवाया।

सर्वे रिपोर्ट की प्रति और सर्वे कमिश्नर द्वारा प्रस्तुत नक्शा

अदालत सप्तम सिविल जज (जू0डी0) में दाखिल वाद संख्या 394/2001 में एडवोकेट कमिशन का आदेश हुआ था, जिसकी रिपोर्ट 22 फरवरी 2007 को एडवोकेट कमिशनर अरुण कुमार श्रीवास्तव द्वारा अदालत में दाखिल की गई थी। इस रिपोर्ट के दुसरे पैसेज में साफ़-साफ़ लिखा है कि “कमरे का निरिक्षण तथा चौहद्दी को नोट किया। उक्त कमरे के दक्षिणी पूर्वी किनारे से संलग्न 4 फिट उत्तर दक्षिण व लगभग 3 फिट पूरब पश्चिम छोटी कोठारी नुमा स्थान जिसे नक़्शे में ऊपर “ए,बी,सी,डी” से प्रदर्शित किया गया है पर पक्षों ने ध्यान आकर्षित कराया। उक्त स्थान में दक्षिणी दीवार से लगकर पूरब पश्चिम लम्बान में फर्श से ऊँचा चबूतरा है। उक्त चबूतरे के उंचाई तक 2 सीढ़ी है। चबूतरे के ऊपर बीचो बीच लोहे का सिंघासन है। सिंघासन के अन्दर राम=जानकी की अष्टधातु की मूर्ति है। मुख्य सिंघासन के पूरब की तरफ एक छोटा सिंघासन है जिसमे भी अष्टधातु की मूर्ति पाई गई।” हालांकि सर्वे कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में इसका ज़िक्र भी किया है कि कोठरी के बाहर दिवार पर “मन्दिर” लिखा हुआ है जिसकी लिखावट पुरानी नही लग रही है।

अब कोर्ट कमीशन की 2007 की इस सर्वे रिपोर्ट पर ध्यान दे तो सर्वे रिपोर्ट इस बात को साबित करती है कि उस समय भवन के अन्दर भी एक मंदिर थी और मंदिर में एक नही बल्कि दो सिंघासन लोहे के बने थे जिसमे एक बड़ा था और एक छोटा था। बड़े सिंघासन पर राम जानकी की बड़ी अष्टधातु की मूर्ति थी और छोटे सिंघासन पर छोटी अष्टधातु की मूर्ति थी। वर्त्तमान में दोनों मूर्ति कहा है इसकी जानकारी या तो खरीदार महमूद मिया दे सकते है अथवा बाहर बनी राम जानकी मंदिर के पुजारी जगदीश शंकर दीक्षित दे सकते है। या फिर भवन के विक्रेता और भवन से बेदखल हुवे कैलाश नाथ विश्वकर्मा दे सकते है। क्योकि हमारे सूत्र बताते है कि अष्टधातु की मूर्ति अब मौके पर नही है।

इस कीमती मूर्ति के बारे में या तो फिर जानकारी आमिर मलिक दे सकते है जिन्होंने इस भवन के करोडो के खेल में बड़ा रोल अदा किया है। जुड़े रहे हमारे साथ हम आपको बतायेगे कि कैसे 1978 में बड़ा खेला कागजों में किया गया है। खेल का असली खेल जानने के लिए जुड़े रहे हमारे साथ। हम दिखाते है खबर वही, जो हो सही।

pnn24.in

Recent Posts

गंगा नदी में बहती मिली अज्ञात युवती का शव, पुलिस जुटी शिनाख्त में

शहनवाज अहमद गाजीपुर: गहमर थाना क्षेत्र के वारा गांव के पास गंगा नदी में आज…

11 mins ago

बाबा सिद्दीकी के मौत का सिम्पैथी वोट भी नही मिल पाया जीशान सिद्दीकी को, मिली इंडिया गठबन्ध प्रत्याशी के हाथो हार

आदिल अहमद डेस्क: बाबा सिद्दीक़ी के बेटे ज़ीशान सिद्दीक़ी मुंबई की बांद्रा पूर्व सीट से…

36 mins ago

वायनाड से प्रियंका गांधी प्रचंड जीत की और अग्रसर, 3 लाख 85 हज़ार मतो से चल रही आगे

तारिक खान डेस्क: महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के साथ ही 14 राज्यों की 48…

1 day ago

महाराष्ट्र विधानसभा के चुनावी नतीजो पर बोले संजय राउत ‘ये जनता का फैसला नही हो सकता है’

आदिल अहमद डेस्क: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के रुझानों में बीजेपी के नेतृत्व वाला महायुति गठबंधन…

1 day ago