ज्ञानवापी मस्जिद: जाने मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने क्या दिया अदालत में ज़बरदस्त दलील, अब होगी 12 जुलाई को सुनवाई

तारिक़ आज़मी

वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में आज सोमवार को ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद जिला जज डॉ0 अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई हुई। आज अंजुमन मसाजिद इन्तेजामियाँ कमेटी के जानिब से अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने मस्जिद कमेटी का पक्ष रखते हुवे ज़बरदस्त दलील पेश करते हुवे इस पुरे मामले को ही सवालो के घेरे में खड़ा करते हुवे इसके अचित्य पर सवाल उठाया। आज हुई जिरह के बाद अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 12 जुलाई तय कर दी।

बताते चले कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जिला जज की अदालत में इस मामले को आदेश संख्या 7 के नियम 11 के तहत सुना जा रहा है। अदालत पहले इस फैसले पर पहुचेगी कि क्या ये केस प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट 1991 का उलंघन तो नही है। इस क्रम में आज सुनवाई के लिए न्यायालय कक्ष में केवल वादी-प्रतिवादी व अधिवक्ताओं को ही प्रवेश दिया गया। अदालत परिसर में काफी संख्या में फोर्स तैनात कर दी गई थी। प्रवेश द्वार पर भी चौकसी बढ़ा दी गई थी। जैसा कि जितेन्द्र सिंह विसेंन ने घोषणा किया था कि अपने सभी वाद से वह हरिशंकर जैन और विष्णु जैन को हटा रहे है और उनके तरफ से मान बहादुर सिंह, अनुपम द्विवेदी और शिवम् गौण अधिवक्ता होंगे। इसकी कोई वैसे पुष्टि नही प्राप्त हो पा रही है कि उन अधिवक्ताओं का आज वकालतनामा दाखिल हुआ है अथवा नही। मगर हरिशंकर जैन आज की सुनवाई के दरमियान अदालत परिसर में उपस्थित थे।

गौरतलब हो कि दिल्ली की राखी सिंह व वाराणसी की लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास व रेखा पाठक की ओर से दायर याचिका पर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वे करने का आदेश दिया था। सर्वे के दरमियाना मस्जिद के वजूखाने में दावा किया गया कि निकली आकृति शिवलिंग है। जबकि वही दूसरी तरफ मस्जिद कमेटी इस आकृति को लगातार फव्वारा बता रही है। सर्वे के आखरी दिन यह दावा किया गया था कि उक्त आकृति शिवलिंग है। जिसके बाद दावे के बाद अदालत ने उक्त वाज़ुखाने को सील करने का आदेश दिया था। अंजुमन इंतजामिया ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस पूरे मामले की पोषणीयता पर सुनवाई सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत से जिला जज की अदालत में मामला ट्रांसफर कर दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज की अदालत में 26 मई से 30 मई तक सुनवाई चली थी। ग्रीष्मावकाश के चलते सुनवाई चार जुलाई तक टल गई थी। 30 मई के बाद इस मामले में आज सुनवाई हुई। 30 मई को भी मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने अपना पक्ष रखते हुवे दलील दिया था कि विशेष धर्म उपासना स्थल विधेयक 1991 यहां लागू होगा, जिसमें आजादी के समय धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी, वही रहेगी। जबकि हिंदू पक्ष की दलील है कि यहां विशेष धार्मिक उपासना स्थल काननू लागू नहीं होगा, क्योंकि यहां आजादी के बाद भी श्रृंगार गौरी की पूजा होती थी। अंजुमन इंतजामिया के अधिवक्ता अभय नाथ यादव वाद की पोषणीयता पर सवाल उठाते हुए आपत्ति में दर्शाए गए 52 में से 39 बिंदुओं पर अपनी दलीलें पेश कर चुके हैं। उनकी दलील अभी जारी है। 12 जुलाई को अब सुनवाई होगी। इस दिन अधिवक्ता अभय नाथ यादव की दलील पूरी होने की संभावना है।

आज पेश की गई दलील ने अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने वाद की प्रस्तुति पर सवाल उठाते हुवे बताया कि वाद में जिस अराजी नम्बर का ज़िक्र किया गया है और उसको दशाश्वमेघ ज़ोन की अराजी बताया गया है तो वह दशाश्वमेघ ज़ोन में जाकर उस अराजी की तलाश करे। यहाँ जिस अराजी की बात हो रही है वह अराजी चौक की है और मंदिर तथा मस्जिद दोनों ही चौक क्षेत्र से सम्बन्धित है। अभय नाथ यादव ने कहा कि अब दशाश्वमेघ की उस अराजी नम्बर को तलाश कर वादी मुकदमा वहा पूजा का दावा पेश करे।

अभय नाथ यादव ने कहा कि जिस संविधान के अनुच्छेद 25 का ज़िक्र करते हुवे वाद दाखिल किया गया है वह रीट का हिस्सा होता है। इसके लिए सिविल सूट फाइल नही किया जाता है। वरिष्ठ अधिवाकड़ा ने कहा कि वाद में खुद माना जा रहा है कि 1947 में उक्त स्थल मस्जिद ही था। फिर ये वाद इस आधार पर भी पोषित होने लायक नही है। इस दरमियान कई नजीर भी इसकी पेश किया गया।अभय नाथ यादव ने अपनी दलील में जोर देकर कहा कि यह वाद सुनवाई योग्य नही है। अदालत में इस केस की सुनवाई हतु 12 जुलाई की तारिख निश्चित किया है।

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