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मदनपुरा के सदानंद बाज़ार स्थित राम-जानकी मंदिर संपत्ति बिक्री प्रकरण: हिस्ट्रीशीटर आमिर मलिक की ऐसी ज़बरदस्त सेटिंग कि मूर्ति भी गायब कर दिया, और डी0 45/73-74 पर अवैध निर्माण भी जारी है, वीडीए की आंख बंद

तारिक़ आज़मी

वाराणसी: एक तरह जहा हिंदूवादी संगठन मंदिर के लिए लड़ाई लड़ने की बात करते नही थकते है। तो वही दूसरी तरफ वाराणसी के मदनपुरा स्थित सदानंद बाज़ार में राम-जानकी मंदिर की संपत्ति ही केवल नही बिकी बल्कि जिस मूर्ति का ज़िक्र 1965 में किये गए अपनी वसीयत के अन्दर संपत्ति की असली मालकिन सामदेई ने किया था वह मूर्ति भी गायब है। इसको सेटिंग ही कहेगे। खबर के शुरुआत में ही हमसे हमारे सूत्र ने बताया था कि कुख्यात मुन्ना बजरंगी का खुद को करीबी बताने वाला आमिर मलिक असल में उसका करीबी रहा है। उसकी सेटिंग बड़ी ज़बरदस्त है।

सेटिंग के ज़बरदस्त होने का उदाहरण हमारे सूत्र ने एक बड़ा दिया था कि जब तक उमराव खान चौकी इंचार्ज बजरडीहा थे तो उनसे कई काम आमिर मलिक ने निकाले थे। इसके बाद आपसी विवाद होने पर उमराव खान का वह वीडियो तो आमिर मलिक ने ही वायरल किया था जिसके वजह से उमराव खान को जेल जाना पडा था। यहाँ तक सेटिंग की पराकाष्ठ बताया कि आमिर मलिक ने उस एलआईयु रिपोर्ट को भी दबवा दिया जिसमे इसके परिवार के खिलाफ शासन को रिपोर्ट गई थी। भाई मानना पड़ेगा। 1965 में जिस अष्टधातु की मूर्ति का ज़िक्र सामदेई ने अपने वसीयत में किया वह मूर्ति तक गायब करवा दिया।

अब अगर आमिर मलिक दावा करता है कि वीडीए के जेई से लेकर सचिव तक को मैनेज करते हुवे मैं भवन संख्या डी0 43/73-74 पर अवैध निर्माण करवा रहा हु तो मानना पड़ेगा ही पड़ेगा। क्योकि इतने बड़े अवैध निर्माण को वीडीए कैसे नज़र बंद करके बैठा है ये तो काफी लोगो को समझ नही आया है। पूरी 250 फिट बोरिंग हो गई और नगर निगम ने कोई साँस नही लिया ये तो वाकई आमिर मलिक की सेटिंग का ही बड़ा नतीजा है। वीडीए के जोनल जवाब नही रखते है। जेई फोन नही उठाते है। अभी वीडीए फिलहाल झंडे तकसीम कर रहा है। आखिर उसको भी तो स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाना है। तो तकसीम कर रहा है झंडे। वीसी ईशा दोहन दावे करती है कि सब कुछ नियमानुसार होता है तो फिर 5 फुट की गली में ये निर्माण कैसे चल रहा है और वीडीए के जेई साहब कैसे नहीं देख पा रहे है ये बड़ी बात है। इसके बाद तो आमिर मलिक की सेटिंग मानना पड़ेगा ही पड़ेगा।

वैसे मशहूर और मकबूल हाजी अब्दुल रब मरहूम के नाती का इतना पॉवर देख कर इलाके का कोई कैसे बोल सकता है। बेहद शातिराना तरीके से सब सेटिंग करना और उसके बाद चाय पान की दुकानों पर “भौकाल जिंदाबाद।” अब इतना सेटिंग करने के बाद कमिश्नर ए0 सतीश गणेश से लेकर एसीपी अवधेश पाण्डेय तक से अपनी बढ़िया बातचीत बताने में हर्ज क्या है? वैसे भी कौन देखने जा रहा है कि है भी या फिर दूर से ही दर्शन हो जाते है। मगर इन सबके बीच एक बड़ा सवाल है महमूद मियाँ से जो नए नवेले इस विवादित संपत्ति के मालिक है। करोडो के निर्माण की तैयारी कर रखा है मगर ज़मीन खरीदते वक्त कोई और गवाह नही मिला एक अपराधिक इतिहास वाले ने गवाही दिया, ये बात कुछ हज़म नही होती है।

बहरहाल, कल हम आपको एलआईयु की उस रिपोर्ट के बारे में बतायेगे जिसमे इस परिवार की गतिविधियों के संदिग्ध होने का ज़िक्र था। मगर वर्ष 2007 की इस कुल 7 पेज की रिपोर्ट जो एलआईयु ने परमगोपनीय श्रेणी में पत्रांक संख्या एलआईयु-जांच/07 दिनांक 29 अगस्त 2007 को एक बड़ी सेटिंग के साथ दबवा दिया गया है। जुड़े रहे हमारे साथ हम कल आपको बतायेगे कि किस प्रकार से वर्ष 1978 के नगर निगम का इस संपत्ति से सम्बन्धित दस्तावेज़ एक ऐसी ही सेटिंग से नगर निगम के जोनल कार्यालय में फाइल मंगवा कर गायब कर दिया गया।

 

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