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महाराष्ट्र मसले पर शिंदे गुट से सुप्रीम कोर्ट में पूछा तल्ख़ सवाल, कहा अगर आप चुने जाने के बाद राजनीतिक दल को पूरी तरह से नजरअंदाज कर रहे हैं तो क्या यह लोकतंत्र के लिए खतरा नहीं है?

ईदुल अमीन

डेस्क: महाराष्ट्र में चल रही शिवसेना में सियासी संकट में आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दरमियान उद्धव ठाकरे गुट को एक बड़ी राहत देते हुवे चुनाव चिन्ह पर कोई फैसला फिलहाल नही किया है। वही शिंदे गुट से तल्ख़ सवाल करते हुवे कहा है कि अगर आप चुने जाने के बाद राजनीतिक दल को पूरी तरह से नजरअंदाज कर रहे हैं तो क्या यह लोकतंत्र के लिए खतरा नहीं है?

चुनाव चिन्ह मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि इस मामले में फैसला न ले। सभी पक्षों को हलफनामा दाखिल करने को अदालत ने कहा है। मामले में अगली सुनवाई 8 अगस्त को चुनाव आयोग को जवाब दाखिल करना है। अदालत इस मामले में अगली सुनवाई उसी दिन करेगी। साथ ही अदालत ने कहा है कि अगर पक्षकार जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगते हैं तो चुनाव आयोग उसे समय देने पर विचार कर सकता है। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई 8 अगस्त को करेगा।

सुनवाई के दरमियान सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुटे से तल्ख़ सवाल किया कि अगर आप चुने जाने के बाद राजनीतिक दल को पूरी तरह से नजरअंदाज कर रहे हैं तो क्या यह लोकतंत्र के लिए खतरा नहीं है? इसके जवाब में शिंदे गुट की ओर से पेश हुए वकील हरीश साल्वे ने कहा कि नहीं, मैं ऐसा नहीं कह रहा हूं। हमने राजनीतिक दल नहीं छोड़ा है। कोर्ट ने यह सवाल तब पूछा जब सुनवाई के दौरान वकील साल्वे ने कहा, अगर कोई भ्रष्ट आचरण से सदन में चुना जाता है और जब तक वो अयोग्य घोषित नहीं होता तब तक उसके द्वारा की गई कार्रवाई कानूनी होती है।

हरीश साल्वे ने अदालत में कहा कि जब तक उनके चुनाव रद्द नहीं हो जाते, तब तक सभी कार्रवाई कानूनी है। दलबदल विरोधी कानून असहमति विरोधी कानून है। यहां एक ऐसा मामला है जहां दलबदल विरोधी नहीं है। उन्होंने कोई पार्टी नहीं छोड़ी है। अयोग्यता तब आती है जब आप किसी निर्देश के खिलाफ मतदान करते हैं या किसी पार्टी को छोड़ देते हैं।

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