शाहीन बनारसी
वाराणसी: बदलते दौर में साझी विरासत तथा संवैधानिक एवं धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को कैसे सुरक्षित रखा जाए, बहुत ही चुनौती एवं जोखिमपूर्ण कार्य है। इस पर बातचीत के लिए स्थानीय समुदाय के साथ एक परिचर्चा का आयोजन राजघाट, वाराणसी में राइज एण्ड एक्ट के तहत किया गया। वक्ताओं ने कहा कि आज देश मुश्किल दौर से गुजर रहा है। भारत मे विभिन्न धर्म और समुदाय के लोग सदियों से आपस में मेल-जोल से रहते आये है, पर आज इस परम्परा को नकारने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। हमें यदि इस परंपरा को बचाये रखना है तो गरीबों-मज़लूमों के रोजी-रोटी के सवालों के साथ खड़े होना होगा क्योंकि सही मायने में इन्ही लोगों ने इसे बचाये रखा है।
मालती देवी ने कहा कि विकास के नाम पर तमाम लोग उजाड़ दिए गए है और उनका पुनर्वासन भी नहीं किया गया है। सरकार असंवेदनशील है और हमारे पास संघर्ष के अलावा कोई रास्ता नही बचा है। इससे तब ही निपटा जा सकता है जब हम में एकजुटता हो।
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