शाहीन बनारसी
वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में वादी पक्ष के अधिवक्ताओं और पक्षकारो के बीच आपसी वाद विवाद का दौर चल रहा है। कभी किसी का कोई बयान आता है तो कभी किसी का कोई बयान। खास तौर पर ये बयानबाजी और आरोप प्रत्यारोप का दौर उस समय से शुरू हो गया था जब सर्वे कमीशन की रिपोर्ट के साथ हुई वीडियोग्राफी वायरल हो गई थी। जिसके बाद अदालत ने भी काफी सख्त रुख अख्तियार किया था।
हमारी इस सम्बन्ध में अधिवक्ता शिवम गौण से बात हुई तो उन्होंने सपाट भाषा में कहा कि “देखिये मुझे हिन्दू ह्रदय सम्राट कहलवाने की न तो इच्छा है और न ही हिदुत्व मेरे लिए एक एटीएम कार्ड है। मैं एक प्रोफेशनली करेक्ट वकील बनकर रहने में ज्यादा खुश हूँ। मैं अपने सभी केस पुरे मन से लड़ता हु और इस केस को भी मैंने मन से और मेरिट के साथ लड़ा है।”
आगे बात करते हुवे उन्होंने कहा कि “4 अप्रैल से लेकर 6 अप्रैल की कुल साढ़े चार घंटे की बहस के बाद ज्ञानवापी कमीशन की वीडियोग्राफी, पुलिस सुरक्षा के आदेश हों या फिर 9 मई से 11 मई तक चली घंटो की बहस के बाद तहखाने खुलवाने और ताले तुड़वाने के आदेश हो या ऑर्डर 7 रूल 11 पर मुकदमे की maintainability के लिए 361 पन्नो के साथ घंटो तक हुई बहस हो सब मैरिट पर ही मैंने किया है। मेरे लिए बस यही खुशी की बात है। मैं इसमें ही खुश हूँ कि लोग मुझे प्रोफेशनली करेक्ट वकील के तौर पर जाने। न मुझको इच्छा हिन्दू ह्रदय सम्राट कहलवाने की है और न ही हिंदुत्व को मैं अपना एटीएम कार्ड बनाना चाहता हूँ।
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