बोल शाहीन के लब आज़ाद है तेरे: ट्रिंग-ट्रिंग, हेल्लो नगर आयुक्त साहब, जलकल के जीएम साहब, तनिक औरंगाबाद पानी टंकी की सुध ले, इसकी छत टूट रही है
शाहीन बनारसी
वाराणसी: स्मार्ट सिटी वाराणसी भले ही बन गया हो। मगर यहाँ का नगर निगम अपने कर्तव्यों का निर्वहन स्मार्ट तरीके से कर रहा है इसको लेकर संशय बना रहता है। कुछ विशेष इलाको को छोड़ दे तो बहता सीवर, टूटी गलिया और सड़के नगर निगम की कार्य प्रणाली को जग ज़ाहिर करने के लिए काफी है। सीवर के लिए जिस जद्दोजेहद का सामना शहर को करना पड़ रहा है वह किसी से छिपा नही है।
बहरहाल, साहब ये नगर निगम है। स्मार्ट सिटी का सुपर स्मार्ट नगर निगम और हम इस सुपर स्मार्ट नगर निगम के इलाको में रहने वाले मामूली स्मार्ट लोग है। अब शहर स्मार्ट है तो शहरी खुद ही स्मार्ट हो जायेगे। सुविधाए भी स्मार्टनेस झलका रही है। ऐसी ही एक बड़ी स्मार्टनेस शहर के मशहूर औरंगाबाद पानी टंकी ने आज सुबह दिखा दिया है। एक तरफ की टंकी का ढक्कने भुडुक से न टूट गया और टंकी के अन्दर गिर गया। आप समझ सकते है कि कैसे धक से दिल धड़क गया होगा देखने वालो का,
दरअसल रख रखाव में हिला हवाली और कागज़ी घोड़ो की दौड़ के बीच टंकी की सफाई कब हुई कब मरम्मत हुई ये इलाके के लोगो को याद ही नही है। जीएम साहब हम भी इसी इलाके के रहने वाले है। हमने भी नही देखा कि कब रख रखाव और मरम्मत हुई है। खैर, इसी रख रखाव की कमी थी जो इस टंकी के ढक्कन की एक छोर ने अपना जवाब देते हुवे कहा होगा “अब तो हम जईफ होई गए है। हमसे न खड़ा हुआ जात है।” फिर बुड़ुम से करके ऐसा बैठ गई कि टंकिया के अंदरे समाहित हो गई साहब। तस्वीर सुबहियाँ की है साहब, तनिक ध्यान दिलवा दे साहब, टंकी पर।