ज़िला जज की अदालत आज इस मुद्दे पर अपना फैसला सुना सकतीं है कि ज्ञानवापी मस्जिद से सम्बंधित यह वाद सुनवाई योग्य है या नहीं। तीन महीने से ज्यादा समय तक चली सुनवाई में दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें दी हैं। हिंदू पक्ष की ओर से इस मामले को सुनवाई योग्य करार देने के लिए साक्ष्य प्रस्तुत किए गए। उधर, मुस्लिम पक्ष ने भी इस वाद को खारिज कराने के लिए अदालत को मज़बूत सबूत सौंपे हैं। बेहद महत्वपूर्ण इस मामले में बहस के दौरान मुगल शासक औरंगज़ेब तक के आदेशों का हवाला दिया गया है।
गौरतलब हो कि सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत की ओर से ज्ञानवापी परिसर में कराए गए सर्वे के बाद अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी सुप्रीम कोर्ट चली गई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज की अदालत को आदेश 7 नियम 11 के तहत सुनवाई का आदेश दिया था।
इस मामले में न्यायालय इस बात पर सुनवाई कर रही थी कि आजादी के समय विशेष उपासना स्थल कानून के अन्तर्गत यह मस्जिद थी या नही। गौरतलब हो कि प्लेसेस आफ वार्षिप एक्ट 1992 के तहत जो स्थल 1947 में जिस धर्म के अनुसार था उसमें कोई तब्दीली नही किया जा सकता है। इस एक्ट में बाबरी मस्जिद को अलग रखा गया था साथ ही इस एक्ट की चर्चा और तारीफ बाबरी मस्जिद के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने किया था।