शाहीन बनारसी
वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में वादिनी मुकदमा द्वारा दाखिल अर्जी जिसमे सर्वे में मिली आकृति जिसको वादिनी पक्ष शिवलिंग होने का दावा कर रही है जबकि अंजुमन मसाजिद इन्तेज़मियाँ कमेटी द्वारा उसको फव्वारा होने का दावा किया जा रहा है कि कार्बन डेंटिंग की मांग जा रही है। आज इस प्रकरण में अदालत ने दोनों पक्षों की जिराह सुनी।
जिरह के दरमियान आज अदालत में अंजुमन इन्तेज़मियां कमेटी ने अपनी जिरह में कार्बन डेटिंग का विरोध करते हुवे कहा कि कार्बन डेंटिंग पेड़ पौधो के लिए होती है। कार्बन डेंटिंग से किसी वास्तु की आयु निर्धारित नही हो सकती है। अंजुमन की जानिब से अदालत में पेश हुवे अधिवक्ता मुमताज़ अहमद, मेराजुद्दीन सिद्दीकी और तौहीद अहमद मस्जिद कमेटी के तरफ से पक्ष रखते हुवे कहा कि इस प्रकार से कार्बन डेंटिंग की अनुमति देना कही से न्यायसंगत नही है। मस्जिद कमेटी के जानिब से पेश हुवे अधिवक्ताओ ने दलील दिया की मस्जिद का वजू खाना सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सील है जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही कोई जांच हो सकती है। मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलील में कई बार इस बात को दोहराया कि ज्ञानवापी में शिवलिंग नहीं बल्कि फव्वारा है। ऐसे में कार्बन डेटिंग की मांग सही नहीं है। ‘
दोनों पक्ष की बहस सुनने के बाद जिला जज ने आदेश के लिए 7 अक्तूबर की तारीख मुकर्रर किया है। वही वादिनी मुकदमा पक्ष के बीच आपसी विवाद खुद कर आज सामने आया जब एक वादिनी राखी सिंह के तरफ से पेश हुवे अधिवक्ता मान बहादुर ने कार्बन डेंटिंग को धर्म विरुद्ध बताते हुवे दलील पेश किया कि इससे शिवलिंग खंडित हो जायेगा और खंडित शिवलिंग की पूजा अर्चना धर्म के अनुसार नही होती है।
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