तारिक़ आज़मी
वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में अब एक ऐसा मोड़ आ गया है जिसमे हिन्दू पक्ष दो फाड़ हो गए है। एक पक्ष की मांग है कि सर्वे में मिली आकृति जिसको हिन्दू पक्ष शिवलिंग और मस्जिद कमेटी फव्वारा कह रही है कि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा कार्बन डेंटिंग जाच करवा लिया जाए जिससे यह सिद्ध हो जाए कि अमुक आकृति शिवलिंग है। यह मांग पिछली तारीख पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शकर जैन ने अदालत से किया था। जिसके बाद अदालत ने मस्जिद पक्ष से आपत्ति दाखिल करने को अगली तारीख पर कहा है।
क्या बोले जितेन्द्र सिंह विसेन
जितेन्द्र सिंह विसेन ने हमसे फोन पर बात करते हुवे बताया कि कार्बन डेंटिंग कही से भी हिंदुत्व और मंदिर के हित में नही है। कही से भी यह कार्बन डेंटिंग मंदिर पक्ष के हित में नही है। इससे पवित्र शिवलिंग की पवित्रता भंग हो जाएगी,। धर्म और विधि दोनों से ही यह उचित नही है। हमे कार्बन डेटिंग के प्रमाण की आवश्यकता नही है। उनकी आयु निर्धारित करना शिवलिंग के अस्तित्व पर प्रश्नचिंह लगाना है। उन्होंने हमसे बातचीत में बताया कि इसी केस में एक और महत्वपूर्व साक्ष्य हमारे पास आज ही आया है जिसके सम्बन्ध में कल अदालत में अर्जी डालने के बाद मीडिया से उसके सम्बन्ध में बताया जायेगा।
क्या बोले विष्णु शंकर जैन
हमने इस सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन से टेलीफोन पर बात किया तो उन्होंने साफ़ साफ़ कहा कि “मैंने साइनटिफिक जाच की मांग किया है, मैं जितेन्द्र सिंह विसेन की किसी बातो का जवाब नही देना चाहता हु। उनको जो बात कहनी है वह अदालत में आकर कहे”
क्या है अंजुमन मसजिद इंतेजामिया कमेटी का नज़रिया
इस सम्बन्ध में हमने अंजुमन मसाजिद इन्तेजामियां कमेटी के अधिवक्ता तौहीद अह्मद से बात किया तो उन्होंने कहा कि ये उक्त वादिनी मुकदमा पक्ष के आपस का मामला है। हमको जो कुछ कहना होगा हम अदालत में कहेगे। हमारे जानिब से जवाब तैयार हो रहा है। अगली सुनवाई पर हम दाखिल करेगे।
अब जितेन्द्र सिंह विसेन के इस बयान के बाद वादिनी पक्ष जिसको अक्सर मीडिया हिन्दू पक्ष कहकर संबोधित कर रहा है उसमे दो फाड़ हो गए है। एक पक्ष इसकी कार्बन डेंटिंग जाच करवाने की अर्जी दाखिल कर चूका है जिसके ऊपर अदालत ने अंजुमन मसाजिद इन्तेज़मियाँ कमिटी की जानिब से आपत्ति अगली सुनवाई पर मांगी है। वही दूसरा पक्ष कह रहा है कि कार्बन डेंटिंग करवाना शिवलिंग के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाना है। इसको हम नही होने देंगे। बताते चले कि अदालत ने चार महिलाओं ने जो मांग की है, उस पर 29 सितंबर को सुनवाई की तिथि नियत की है।
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