तारिक़ आज़मी (इनपुट: शशिकांत)
डेस्क: सोनभद्र प्रशासन इस समय मुकेश बाबा की तलाश कर रही है। तीन दिन तक सुकृत चौकी अंतर्गत ग्राम लोहरा पम्पवा में मुकेश बाबा ने अपना ज़बरदस्त दरबार लगाया। तन पर खादी पहन कर खुद के वोटो की सियासत करने वाले नेता के बल पर इस गाँव में मुकेश बाबा ने अपने आडम्बर का कैम्प लगा डाला। कैम्प भी ऐसा कि नोटों की बारिश हुई। ज़बरदस्त बारिश हुई भीड़ ज़बरदस्त लगी। मगर प्रशासन ऐसे विवादित बाबा पर ध्यान नही देती है। जिसके बाद कल यानी 30 अगस्त की रात को किसी समय बाबा फुर्र हो जाते है।
बाबा भौकाली उर्फ़ मुकेश बाबा जैसे ही फरार होते है, सम्बन्धित गाँव में हडकंप मच जाता है। इस हडकंप के बाद गाँव में भीड़ इकठ्ठा होने लगती है तब स्थानीय थाने की नींद टूटती है। हडकम्प मच जाता है। भीड़ को किसी तरह पुलिस समझाती बुझाती है। किसी तरह भीड़ वापस अपने घरो को वापस जाती है। मगर सवाल ये उठता है कि तीन दिन तक यही पुलिस जो आज मुकेश बाबा को फर्जी मानते हुवे तलाश रही है, वह कर क्या रही थी? आखिर किस सफ़ेदपोश ने अपने सियासी फायदे के लिए इस फर्जीवाड़े का दरबार लगा दिया था। ये वही मुकेश बाबा है जिसके ऊपर पडोसी जनपद वाराणसी में मुक़दमे दर्ज है। सूत्र बताते है कि सावन इन बाबा का जेल यात्रा में ही बीता था।
कौन है मुकेश बाबा
बांझपन व कैंसर जैसे कई असाध्य रोगों को थप्पड़ और घुसे मारकर इलाज करने का दावा करने वाले इस पाखंडी बाबा की मार खाने के लिए लोग पैसे देते है। कहते है समाज में बेवकूफों की कमी नही है। एक शख्स सैकड़ो लोगो को एक साथ बार बार बेवक़ूफ़ बनाता है, ये आप सुनते होंगे। अगर आपको इसका जीता जागता उदहारण देखना है तो आप इस पाखंडी बाबा को देख ले। नही देख सकते तो इस समाचार के साथ लगे वीडियो को देख ले और खुद इस बात को समझ कर तीन बार हंस सकते है कि आखिर किस तरीके से लोग सीधे इस समाज में है जो मार खाने के लिए भी पैसे दे रहे है।
हमारे सूत्रों की माने तो बाबा बिहार के कैमूर जिले में चैनपुर थानांतर्गत सिकंदरपुर गांव का निवासी है। बिना अनुमति अवैध रूप से भीड़ इकट्ठा कर आम जनता को झाड़ फूंक एवं अंधविश्वास को ही असली विश्वास बताने में पुराना खिलाड़ी ये बाबा ठगी करने के आरोप में वाराणसी के रामनगर और कैंट थाने के साथ साथ बिहार कैमूर के चैनपुर थाने की पुलिस के द्वारा संयुक्त अभियान चलाकर मुकेश नोनिया के घर दबिस दी गई। मगर मुकेश बाबा का पाखंडी पुराना है, पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया। पुलिस द्वारा मुकेश नोनिया के घर नोटिस चस्पा कर ध्वनि विस्तारक यंत्र के माध्यम से लोगों को इस फर्जी बाबा से सतर्क रहने के लिए बताया गया।
कैसे पंहुचा पाखंडी बाबा मुकेश उर्फ़ मुकेश नोनिया सोनभद्र ?
वाराणसी पुलिस की सख्ती के बाद इस फर्जी और पाखंडी बाबा की दूकान बंद चल रही थी। सूत्रों के अनुसार बाबा ने अदालत में सरेंडर किया और फिर जेल यात्रा के बाद अपने किसी अंधभक्तो की टोली के माध्यम से अपनी ज़मानत करवा लिया। अब इस फर्जी बाबा को एक बार दूकान अपनी फिर चलानी थी। इस बीच अपने नेतागिरी को चमकाने के लिए झोला और खादी छाप स्थानीय नेताओं से यह संपर्क में आया। सोनभद्र जनपद में नोनिया समाज की अच्छी आबादी है। इस आबादी को वोट बैंक समझने वाले सफेदी की चमकार बिखेरते हुवे बाबा को नया दूकान चलाने का अड्डा दे डालते है।
जमकर तीन दिनों तक नोटों की बारिश हुई। जिस भीड़ को आप वीडियो में देख रहे है वह भीड़ इस मार को खाने के लिए 500 की करारी करारी नोट दी है। पाखंडी बाबा की जगह भी नई थी और कारोबारी पार्टनर भी नए थे। राईट लेफ्ट हर जगह उसके आदमी थे। हो भी क्यों न ? पाखंड का कारोबार साथ में सियासत का तड़का लगा हो तो तड़का फ्राई बढिया बन जाती है। बन भी गई तड़का फ्राई और जमकर नोटों की बरसात बाबा के नाम पर हुई। जनता भोली है और रहेगी। मगर इसको आस्था का डोज़ देकर बेवक़ूफ़ बनाने वाले भोले नही है। ठगी के इस माहजाल में फंसी आम जनता का भ्रम टूटे भी कैसे क्योकि चंद सिक्को पर युट्यूबर्स ऐसे पाखंडी बाबा का प्रचार करने वाले भी गज़ब के है।
कहा से हुआ ढोंगी बाबा का प्रचार-प्रसार
ढोंगी बाबा का प्रचार प्रसार करने में ये सिक्का छाप युट्यूबर्स ने कमाल किया। चंद सिक्को की ललक में पहुच गए बाबा के पास बाबा भौकाली का भौकाल सुनने। आपको यकीन नही तो आप युट्यूब पर सिर्फ मुकेश बाबा सर्च करके देख ले। कई वीडियो मिल जायेगे। एक तो ऐसा भी वीडियो है जो बाबा का प्रचार करने में इतना भूल गया कि आखिर ये संभव कैसे है? पाखंडी बाबा ने उसको अपने साक्षात्कार में कहा कि उसका गऊना वर्ष 2007 में हुआ था। दुसरे सवाल के जवाब में कहता है कि उसका बेटा वर्ष 2005 में पैदा हुआ था। आपको विश्वास नही तो आप देख ले युट्यूब पर सर्च करके।
होंठो पर लिपस्टिक, मांग में लम्बा सा सिंदूर भरे बाबा का प्रचार इसी प्रकार के युट्यूब पर हुआ ये कहकर कि बाबा दिनांक 28/8/2022 को भंडारे का आयोजन कर रहे है। इस प्रकार से फर्जी बाबा के अंधभक्त तक बाबा का नया ठिकाना पहुच गया। कुछ गिने चुने समाज के लुटेरों द्वारा अन्धविश्वास में डूबे लोग में यह खबर फैला दी गयी। पाखंडी बाबा के आयोजकों में मुख्य रूप से एक दल विशेष के पदाधिकारियों व सदस्यों ने पूरी कमान संभाल ली थी। अब यहाँ आस्था का नाम लेकर आस्था के नाम पर ठगी का कारोबार शुरू हो गया। लोग इकठ्ठा हो गए और बाबा से मार खाने के लिए पैसे देने लगे। काहे की प्रशासन से भीड़ जुटाने की अनुमति लेना और क्या रखा है सुरक्षा के लिए।
कहने को तो प्रशासन मौजूद रहा और फिर आडम्बर का इतना बड़ा आयोजन हो गया। जनता की आस्था से खिलवाड़ करते हुवे चढ़ावा चौगुना कर दिया गया। आलम यह हुआ कि अगले ही दिन जनसैलाब उमड़ पड़ा और बाबा के दरबार मे नोटों की बारिश चढ़ावे के रूप में होने लगी। यह सिलसिला एक दिन नही पुरे तीन दिनों तक चला। मगर स्थानीय प्रशासन गहरी नींद में था जिसको पता ही नही चला कि हो क्या रहा है। क्षेत्र के कुछ सोशल मीडिया एक्टिविस्टो ने मामले के संबंध में शासन और प्रशासन को अवगत कराते हुए ट्वीट करके बाबा के काले कारनामो का पोल खोला। जिससे सचेत होते हुवे भौकाली बाबा मुकेश उर्फ़ मुकेश नोनिया कल बुद्धवार को देर रात कही फरार हो गया।
आज जब सुबह हुई और दूर दराज से आये लोग इकठ्ठा हुवे तो सबको पता चला कि बाबा तो अपने चेलो सहित कही फरार हो गया है। जिसके बाद हो हल्ला होना शुरू हो गया। गांव में अफरा तफ़री व माहौल को बिगड़ता देख ग्राम प्रधान व कुछ स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मदद मांगी और फिर ध्वनि विस्तारक यन्त्र के माध्यम से लोगो को समझाया गया और किसी तरह उनको समझा कर गाँव खाली करवाया गया। मिल रही अपुष्ट जानकारी के अनुसार बाबा देर रात बोर में नोट भर कर फरार हो गया था। अब प्रशासन बाबा को तलाश रही है और बाबा विलुप्त हो गया है। सवाल ये है कि अगर प्रशासन ने समय रहे ध्यान दिया होता तो आज ऐसे स्थिति में आम नागरिको को न रहना पड़ता।
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