पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने ट्वीट किया चौक थाने की पियरी चौकी से सम्बन्धित “कथित वसूली लिस्ट”, अनसुलझे सवालो से संदिग्ध है सब कुछ

तारिक़ आज़मी

वाराणसी: वाराणसी के चौक थाने से सम्बंधित कथित वसूली लिस्ट के एक फोटो पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने आज सुबह अपने ट्वीटर से ट्वीट किया गया। पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर के वेरिफाईड अकाउंट से न ट्वीट होने के कारण काफी असमंजस की स्थिति बनी थी। मगर फोन पर बातचीत में पूर्व आईपीएस ने इस ट्वीटर अकाउंट का भी खुद से सम्बन्ध होने की बात कही और ट्वीट की पुष्टि किया। इस लिस्ट के वायरल होने के बाद विभाग में हडकंप की स्थिति है। वाराणसी पुलिस कमिश्नर ए0 सतीश गणेश ने मामले में जाँच डीसीपी काशी को सौपा है। इसकी पुष्टि अमिताभ ठाकुर के उसी ट्वीट पर हो रही है।

कथित लिस्ट पर अगर ध्यान दिया जाए तो कई सवाल इसको लेकर अनसुलझे है। वाराणसी जनपद के कई पत्रकारों को व्हाट्सएप पर भेजे गए अपने वीडियो में भी अमिताभ ठाकुर ने इस लिस्ट को “कथित” कह कर संबोधित किया है। मामले में नियमानुसार कार्यवाही का वाराणसी पुलिस प्रशासन से आश्वासन का भी उन्होंने ज़िक्र अपने वीडियो में किया है। मगर वास्तव में कई ऐसे सवाल अनसुलझे है जिसका उत्तर नही मिल रहा है जिसके कारण इस पुरे प्रकरण को संदिग्ध मानने में कोई संकोच नही होना चाहिए। सबसे बड़ा सवाल लिस्ट के नामो से पहले लिखे “नवीन साहब” शब्द पर है। जैसा अनुमान लगाया जा सकता है कि अंडर ट्रेनिंग एसआई नवीन के सम्बन्ध में शायद लिखा है। अब इसके ऊपर गौर करे तो दिल और दिमाग एकदम मानने को तैयार ही नही है कि कोई प्रशिक्षु दरोगा ऐसी हिम्मत रखता होगा।

दूसरा बड़ा सवाल अनसुलझा है कि एसीपी दशाश्वमेघ अवधेश कुमार पाण्डेय और इस्पेक्टर चौक शिवाकांत मिश्रा का सोशल नेटवर्क इस पुरे क्षेत्र में काफी तगड़ा है। अक्सर ही दोनों अचानक पैदल गश्त करते रहते है। अगर ऐसी कोई बात होती तो दोनों के संज्ञान में आना लाजिम था और इनमे से किसी के भी संज्ञान में मामला आ जाता तो वह खुद कड़ी कार्यवाही की संस्तुति कर देते। इसमें कोई शक-ओ-शुबहा नही है कि एसीपी दशाश्वमेघ आज भी 12-15 किलोमीटर पैदल गश्त अपने हमराहियो के साथ खुद करते है। सोशल नेटवर्क की बात करे तो उनका सोशल नेटवर्क काफी तगड़ा है और इलाके के संभ्रांत लोगो के बीच उनकी पैठ भी काफी मजबूत है। नियमो का पालन करवाने में सख्त माने जाने वाले एसीपी के क्षेत्र में ऐसा कुछ हो, बात हज़म होने लायक नहीं है।

तीसरा सवाल सबसे बड़ा लिस्ट में अन्य नामो के साथ एक नाम गुड्डू मुरमुर का है। गुड्डू मुरमुर सपा नेता भी है और इलाके का मशहूर बिल्डर में एक माना जाता है। इसी अगस्त माह में जन्मअष्टमी के दिन गुड्डू मुरमुर को चौक पुलिस द्वारा एक पुराने एनबीडब्लू मामले में चौक पुलिस द्वारा गिरफ्तार भी किया गया था। विगत तीन दिनों पहले ही वह ज़मानत पर जेल से बाहर आया है। जहा उसका भव्य स्वागत होता है और वीडियो भी इसका वायरल होता है। अब यहाँ समझने वाली बात ये है कि गुड्डू मुरमुर सपा का मात्र एक कार्यकर्ता है और किसी सियासी मामले में जेल नही गया था। उसका इस प्रकार से फुल माला डाल कर स्वागत करना उसकी पैठ को दर्शाता है।

ऐसे ये नाम कुख्यात अपराधी किट्टू की डायरी में भी था जो पुलिस को मुठभेड़ के बाद बरामद हुई थी। इसको भी लेकर कई सवाल उठे थे, मगर वक्त के साथ वह भी ठंडा हो गया था। अब अगर इस परिस्थिति पर नज़र दौडाए तो फिर इस व्यक्ति का नाम लिस्ट में है समझ से परे है क्योकि गुड्डू मुरमुर की गिरफ़्तारी में बड़ा योगदान प्रीतम तिवारी का था। फिर आखिर उसका नाम किस कारण इस लिस्ट में शामिल है ये बात समझ में नही आ रही है।

बहरहाल, डीसीपी काशी द्वारा मामले में जाँच चल रही है। प्रकरण मे उठ रहे सवाल अनसुलझे है। सवाल भी सभी वाजिब है। जिसको अगर ध्यान से देखा जाए तो मामले में बहुत कुछ संदिग्ध समझ में आता है। कई नाम ऐसे भी दिखाई दे रहे है जो अपने काम सभी नियमानुसार करते है। फिर उनके नाम ऐसी लिस्ट में क्यों होंगे समझ से परे है। बेशक मेरे चौकी इंचार्ज प्रीतम तिवारी से काफी समय से मधुर सम्बन्ध रहे है और आज भी है। कम से कम प्रीतम तिवारी का व्यक्तित्व तो ऐसा नही है। सबसे बड़ा सवाल ये है कि कोई भी सादे कागज़ पर कुछ नाम लिखे और उसको किसी से भी सम्बन्धित बता दे, ये कोई पुष्टि नही होती है।

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