शराब नीति मामले में ईडी की बड़ी कार्रवाई, 30 जगहों पर ED की छापेमारी
तारिक़ खान
दिल्ली सरकार की आबकारी नीति मामले में ईडी ने मनी लांड्रिंग का केस दर्ज कर 30 जगहों पर छापेमारी की। फिलहाल मनीष सिसोदिया के घर पर रेड नहीं हुई। ED के सूत्रों के मुताबिक दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश के लखनऊ, हरियाणा के गुरुग्राम, चंडीगढ़, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरू और हैदराबाद में छापेमारी चल रही है। वहीं इससे पहले 19 अगस्त को नई आबकारी नीति में कथित घोटाले को लेकर सीबीआई ने मनीष सिसोदिया के घर पर छापेमारी की थी। जिसे लेकर आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला। सीबीआई की ओर से इस मामले में कुल 15 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया का नाम पहले नंबर पर है।
ईडी के अधिकारियों ने बताया कि आबकारी नीति में कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पांच राज्यों की 30 लोकेशन पर तलाशी अभियान जारी है। अधिकारियों के अनुसार, यह छापेमारी मामले में नामजद लोगों पर की जा रही है। इसमें मनीष सिसोदिया या अन्य किसी सरकारी कर्मचारी से जुडे परिसरों में ईडी के अधिकारी नहीं पहुंचे हैं। दरअसल, ईडी ने सीबीआई की प्राथमिकी का संज्ञान लेने के बाद धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत मामले में जांच शुरू की है, जिसमें सिसोदिया और 14 अन्य का नाम है। ईडी इस बात की जांच कर रही है कि क्या पिछले साल नवंबर में लाई गई दिल्ली आबकारी नीति के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित अनियमितताएं की गई थीं।
भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को दिल्ली सरकार के कथित भ्रष्टाचार को लेकर एक स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो जारी किया था।
पार्टी नेता संबित पात्रा ने दावा किया था कि स्टिंग में शराब कारोबारी सनी मारवाह के पिता कुलविंदर मारवाह हैं। उन्होंने कहा था कि वीडियो में दिख रहा व्यक्ति सीधे तौर पर मनीष सिसोदिया को पैसा पहुंचाता था। दरअसल एलजी ने दिल्ली के सचिव की एक रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। 8 जुलाई को यह रिपोर्ट भेजी गई थी। जिसमें पिछले साल लागू की गई आबकारी नीति पर सवाल उठाए गए थे। जिसमें आबकारी नीति (2021-22) बनाने और उसे लागू करने में लापरवाही बरतने के साथ ही नियमों की अनदेखी और नीति के कार्यान्वयन में गंभीर चूक के आरोप हैं।
इसमें अन्य बातों के साथ-साथ निविदा को अंतिम रूप देने में अनियमितताएं और चुनिंदा विक्रेताओं को टेंडर के बाद लाभ पहुंचाना भी शामिल है। रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया कि शराब बेचने की वालों की लाइसेंस फीस माफ करने से सरकार को 144 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। आबकारी मंत्री के तौर पर मनीष सिसोदिया ने इन प्रावधानों की अनदेखी की है।