शाहीन बनारसी
हिंदू धर्म में करवाचौथ को बेहद महत्वपूर्ण समझा जाता है। महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। माना जाता है कि सावित्री अपने पति को मृत्यु के मुंह से निकाल लाई थी और तभी से इस दिन को मनाने की शुरूआत हुई है। इस साल करवाचौथ 13 अक्टूबर के दिन पड़ रहा है। इस दिन खास संयोग बनता हुआ भी माना जा रहा है।
पंडित बापू नंदन मिश्रा ने हमसे बात करते हुवे बताया कि 13 अक्टूबर के दिन 5 बजकर 54 मिनट से 7 बजकर 9 मिनट तक का समय करवाचौथ पूजा के लिए शुभ माना जा रहा है। इसके बाद चंद्रोदय होने पर महिलाएं पति के साथ पूजा करके अपना व्रत तोड़ पाएंगी। उन्होंने पूजा विधि को विस्तार से बताते हुवे कहा कि करवाचौथ की शुरूआत महिलाओं के सुबह उठकर निवृत्त होने से होती है। कई महिलाएं पिछली रात 12 बजे के बाद से ही कुछ खाती-पीती नहीं हैं।
उन्होंने बताया कि सुबह के समय ही लौटे में जल और करवे में गेंहू भरकर रखा जाता है। इसके बाद महिलाएं इकट्ठा होकर करवाचौथ व्रत की कथा सुनती हैं और साथ ही हाथ में चावल लेकर बैठती हैं जिसे बाद में पूजा करते समय अर्क के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आखिर में चांद निकलने के बाद पूजा करके, चांद को और फिर पति को देखा जाता है और फिर पति के हाथ से पानी पीकर व्रत तोड़ा जाता है।
(डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। PNN24 न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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