तारिक आज़मी
जी हम भी इंसान है। हमारे अन्दर भी एक दिल है। नाज़ुक सा ये दिल दर्द पर तड़पता है। अहसास करता है। शर्मसार होता है तो आँखों को भी कभी इजाज़त देता है कि बेशक तू भी कुछ पानी अपने आँखों से गिरा ले। कई खबरे ऐसी होती है कि उसको बयाँ करने के लिए लफ्जों की कमी पड़ जाती है। कभी कभी ऐसा भी होता है कि शुरुआत क्या करे? अल्फाजो की तंगी ने आज भी कलम के रफ़्तार को सुस्त कर रखा है। ऐसा नही है कि आज की ये बात है। खबर तो दो दिन पहले आई थी। पढ़ी। स्वाति मालीवाल के एक ट्वीट से इस खबर की जानकारी हासिल हुई। दो दिन गुज़र गए बस ये कमबख्त दिल बेचैनी ही महसूस कर रहा है। तड़प का अहसास कर रहा है। लफ्ज़ नही बता रहा है।
कई ऐसे मामले कलम से होकर गुज़रते है जिसमे इंसानियत अन्दर तक झकझोर देती है। बेशक ये मामला सबसे अलग है। जहा लफ्ज़ तक जवाब दे चुके है कि नही निकल सकता हु। ऐसी श्थिति के लिए हिंदी का एक शब्द है “निःशब्द”। बेशक आज दो दिनों से ऐसा ही महसूस कर रहा हूँ। हालत-ए-हाल के सबब हालत-ए-हाल ही गई की तरह बताना तो है ही आपको। पुराने ज़खीरो में से वही घिसे पिटे से अलफ़ाज़ शर्मनाक, दहल गई इंसानियत जैसे लफ्जों से काम इस खबर पर चलाया जा सकता होगा तो बताइयेगा ज़रूर। कमेन्ट बॉक्स का कर लेना चाहिए भले “पान खाकर थूकना मना है ही लिखा जाए।”
बहरहाल, मामला कुछ इस तरह है कि बलात्कार की खबरों से दिल्ली के पन्ने अक्सर भरे रहते है। मगर ये थोडा अलग ही है। पिछले दिनों एक 8 साल की मासूम के साथ दरिंदगी हुई। दरिन्दे ने उसकी अस्मत लूट लिया। बाप की उम्र का इंसान या कहे उससे भी बड़ा एक मासूम बच्ची से बलात्कार करता है। बच्ची को इलाज हेतु अस्पताल में भर्ती करवाया जाता है और आरोपी गिरफ्तार हो जाता है। इसको आप शर्मनाक कहेगे, इंसानियत भी काँप उठी या फिर कलयुग है जैसे लफ्जों से पुकार सकते है। बात तो इसके बाद की गम्भीर है।
स्वाति मालीवाल के ट्वीट का जरिया मिला तो जानकारी हासिल हुई कि रेप पीडिता मासूम बच्ची के स्वास्थ में वो सुधार नही हो रहा था। जिससे डाक्टर भी परेशान थे। आखिर आरोपी रेपिस्ट की जाँच होती है तो वह आरोपी एचआईवी पोसिटिव निकलता है। फिर पीडिता की जाँच में पता चलता है कि वह भी संक्रमित है। हडकंप मचना चहिये इस जानकारी के आने पर। मगर नही ऐसा नही हुआ। खबर अमूमन तेज़ रफ़्तार में फर्राटा भर रही खबरों की रफ़्तार में उठी धुंध में गायब हो गई। खबरे कही कही फ्लैश की फिर बड़ी खबरों ने इसको दबा दिया और हमारी आपकी नज़र से ये खबर ओझल हो गई।
मामले को दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल ने उठाया और उन्होंने स्वास्थ्य विभाग और दिल्ली पुलिस को नोटिस भेजकर रेप पीड़िता और आरोपियों के HIV टेस्ट की जानकारी मांगी है। साथ ही पूछा है कि यौन उत्पीड़न के पीड़ितों में HIV को रोकने के लिए क्या कदम उठाये जा रहे हैं और किस मानक प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है। आयोग ने सरकारी अस्पतालों से यौन हिंसा की पीड़िताओं में HIV की रोकथाम की स्थिति का पता लगाने का प्रयास किया। तो दीप चंद बंधु अस्पताल ने बताया है कि यौन हिंसा की पीड़िताओं के 180 मेडिको-लीगल परीक्षणों में से केवल कुछ मामलों में HIV परीक्षण किए गए थे। डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर अस्पताल और राव तुला राम अस्पताल में बलात्कार पीड़ितों के एचआईवी परीक्षण से संबंधित रिकॉर्ड भी नहीं रखे गए। इसके अलावा नियमित अंतराल पर होने वाले HIV परीक्षण और परामर्श, जो कि 3 और 6 महीने के बाद किया जाना चाहिए, अधिकांश पीड़ितों के लिए नहीं किया जा रहा है। न ही इसका कोई विवरण अस्पतालों द्वारा रखा जा रहा है।
इसके बाद नोटिस भेज कर दिल्ली महिला आयोग ने विभाग से 30 दिनों में इस मामले में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट क्या आती ई, क्या आगे होगा इसको सोचने के पहले इस बात की तरफ ध्यान बार बार दौड़ जा रहा है कि उस मासूम बच्ची का कसूर क्या था ?
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