Varanasi

देवेश्वर शुक्ला और अम्बुज पाण्डेय थे अच्छे पहलवान, परिवार को थी आस की करेगे पहलवानी में नाम रोशन, चंद पैसो की लालच में पड़ गये असलहा तस्करों के चक्कर में, चढ़े एसटीऍफ़ के हत्थे

ईदुल अमीन/अजीत शर्मा

वाराणसी: देवेश्वर शुक्ला और अंबुज पाण्डेय दो बढ़िया पहलवान थे। मिर्ज़ापुर में कुश्ती में अपना बड़ा नाम कमा रहे थे। परिवार को अपने दोनों होनहारो से बड़ी उम्मीदे थी। उनको उम्मीद थी कि घर के ये दो पहलवान एक दिन कुश्ती में नाम रोशन करेगे। मगर उफ़ ये शार्ट कट में पैसे कमाने की चाहत और ज़ालिम दिमाग को भटकाने वाले हकीर लोग। इन दोनों पहलवानों का भविष्य ही पूरा चौपट करके रख दिया और चंद पैसे की लालच में दोनों असलहा तस्करी के सिंडिकेट में शामिल हो गए।

कहते है कि क्राइम नेवर फेस। इस बार भी यही साबित हुआ और युपी एसटीऍफ़ के वाराणसी यूनिट ने दोनों को 7 सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल और 13 मैगजीन के साथ गिरफ्तार कर लिया। जो दामन अब तक पहलवानी में अपना परचम लहराना चाहता था अब वह जेल की सलाखों के पीछे वक्त गुजारेगा। अच्छा खासा पहलवानी करने वाले दोनों युवक इन चंद पैसे की लालच में इन्होने अपने खुद के भविष्य को चौपट करवा लिया। यूपी एसटीएफ ने आज दोनों को सारनाथ के आशापुर स्थित पुराना आरटीओ तिराहे के पास से मंगलवार को गिरफ्तार किया। गिरोह के मास्टरमाइंड समेत अन्य सदस्यों के बारे में एसटीएफ ने अहम जानकारियां जुटाई है।

गिरफ़्तारी के सम्बन्ध में यूपी एसटीएफ के वाराणसी फील्ड इकाई निरीक्षक अनिल कुमार सिंह ने बताया कि हमे सूचना मिली कि पूर्वांचल में असलहा तस्करी गिरोह सक्रिय है। उस गिरोह के सदस्य असलहा तस्करी के लिए सारनाथ के आशापुर में मौजूद हैं। इस आधार पर टीम ने घेराबंदी करते हुए दोपहर बाद दोनों तस्करों को गिरफ्तार किया। इनके कब्जे से 32 बोर की 7 सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल और 13 मैगजीन बरामद हुए। गिरफ्तार आरोपी देवेश्वर शुक्ला और अंबुज पाण्डेय दोनों मिर्जापुर के यशवंत सिंह का पुरा और बसुहरा के रहने वाले हैं। अनिल कुमार सिंह के अनुसार पूछताछ में दोनों ने बताया कि वह कुश्ती लड़ते थे और इसका वीडियो बनाकर फेसबुक पर अपलोड करते थे। फेसबुक पर वीडियो को देखकर इसी वर्ष जुलाई माह में प्रयागराज के मेजा थाना अंतर्गत खानपुर के  विपिन दूबे ने सम्पर्क कर दोस्ती गांठी। दोस्ती के दौरान विपिन दूबे ने बताया कि असलहा तस्करी में अकूत पैसा है और कद काठी से तुम दोनों काफी मजबूत हो। इस धंधे में उतर जाओ। मनीष की बात मानकर वह दोनों पैसे के लालच में असलहा तस्करी के धंधे में जुड़ गए।

विपिन दुबे ने पैसा देकर मध्य प्रदेश के बडवानी निवासी एक सरदार (नाम नहीं पता) के पास भेजता था।  पैसा देकर उक्त सरदार से असलहा खरीदते थे और और मध्य प्रदेश से उन असलहों को लाकर विपिन दूबे को दे दिया करते थे। इसके बदले में विपिन 07 हजार रूपये प्रति पिस्टल के हिसाब से पैसा दे दिया करता था। इस प्रकार अबतक कई असलहा लाकर विपिन दूबे को दे चुके हैं। पूछताछ में बताया कि धनतेरस के दिन बड़वानी  गए थे और उसी सरदार से सात सेमी ऑटोमेटिक 32 बोर की पिस्टल और इसकी 13 मैगजीन लेकर आये थे, जिसे वाराणसी में विपिन दुबे को देना था।

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