आफताब फारुकी
डेस्क: गौहाटी हाईकोर्ट ने आरोपियों के मकान पर बुलडोज़र चलाने के एक मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुवे आज मुख्य न्यायाधीश जस्टिस आरएम् छाया ने पुलिस को ज़बरदस्त फटकार लगाते हुवे कहा है कि एजेंसी भले ही किसी गम्भीर मामले की जाँच क्यों न कर रही हो, मगर किसी के घर पर बुलडोज़र चलाने का प्रावधान किसी अपराधिक कानून में नही है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस आरएम छाया असम के नागांव जिले में आगजनी की एक घटना के आरोपी के मकान को गिराए जाने के संबंध में स्वत: संज्ञान वाले मामले की सुनवाई कर रहे थे।
अदालतों से सम्बन्धित खबरों को अपडेट करने वाली खबरिया साईट “Live LOW” ने अपनी खबर में लिखा है कि जस्टिस छाया ने एसपी द्वारा की गई कार्रवाई को लेकर कहा, ‘मुझे कोई आपराधिक कानून दिखाएं जहां लिखा हो कि पुलिस किसी अपराध की जांच के लिए बिना किसी आदेश के किसी व्यक्ति को उस जगह से हटा सकती है और बुलडोजर चला सकती है।’ उन्होंने कहा, ‘एजेंसी भले ही किसी गंभीर मामले की जांच क्यों न कर रही हो, किसी मकान पर बुलडोजर चलाने का प्रावधान किसी आपराधिक कानून में नहीं है।’
अधिकारियों को फटकारते हुए पीठ ने मौखिक टिप्पणी की, ‘इसके लिए आपको अनुमति की जरूरत होती है। आप किसी भी जिले के एसपी हों, आईजी, डीआईजी या कोई भी सर्वोच्च अधिकारी हो, लेकिन उन्हें भी कानून के दायरे में रहना होगा। केवल इसलिए कि वे पुलिस विभाग के वरिष्ठ हैं, वे किसी के घर को नहीं तोड़ सकते। अगर जांच के नाम पर किसी के घर को गिराने की अनुमति दे दी जाती है तो कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा।’
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘प्रक्रिया का पालन करना होगा। एक प्राधिकरण दूसरे प्राधिकरण पर जिम्मेदारी डाल रहा है। एसपी का प्रतिनिधित्व कौन करेगा? क्या जवाब है आपका? कौन-सा कानून ऐसा करने की अनुमति देता है? कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना आप किसी घर की तलाशी भी नहीं ले सकते हैं।’ वकील के यह कहने पर कि तलाशी के लिए इजाज़त ली गई थी, मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘यहां बार में मेरे सीमित करिअर में मैंने किसी पुलिस अधिकारी को सर्च वॉरंट में बुलडोजर इस्तेमाल करते हुए नहीं देखा।’ अदालत ने कहा कि यह एक हिंदी फिल्म की तरह लग रहा है जिसमें दो गैंग एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे थे।
अदालत ने कहा, ‘मजाक में कहूं, तो ऐसा मैंने शेट्टी की किसी हिंदी फिल्म में भी नहीं देखा। अपने एसपी की यह कहानी उन्हें भेजिए, रोहित शेट्टी इस पर फिल्म बना सकते हैं। है क्या यह? यह गैंगवार है या पुलिस का ऑपरेशन? गैंगवार में ही ऐसा होता है कि एक गिरोह का आदमी दूसरे का घर बुलडोजर से गिरा देता है।’ इस पर वकील ने कहा कि यह इरादा नहीं था, जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने जवाब दिया कि ‘इरादा कुछ भी हो सकता है। अपने एसपी से इसका कोई हल निकालने के लिए कहें।’ मुख्य न्यायाधीश ने आगे जोड़ा, ‘कानून और व्यवस्था- इन दोनों शब्दों का एक साथ प्रयोग एक उद्देश्य के लिए किया जाता है। हम एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में हैं। आपको बताने के लिए इतना ही काफी है। हो सकता है कि आपके डीजी को भी इस बारे में पता न हो। इसे उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाएं। एसपी खुद को बचाने के लिए अपनी रिपोर्ट पर कायम रहेंगे।’
खबरिया साईट “Live LOW” के अनुसार उन्होंने जोड़ा, ‘कल के दिन अगर कोई जबरदस्ती कोर्ट रूम में घुस जाए और यहां घुसकर बैठ जाए तो आपके पुलिस अधिकारी जांच की आड़ में इसे भी हटवा देंगे? आप किस तरह की जांच कर रहे हैं? उन्होंने कहा, ‘यह तरीका नहीं है जिससे आप कानून और व्यवस्था को नियंत्रित करते हैं। कृपया इसे गृह विभाग के उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाएं। आप किसी व्यक्ति पर उसके द्वारा किए गए किसी भी अपराध के लिए मुकदमा चला सकते हैं, लेकिन आपके एसपी को घर पर बुलडोजर चलाने की शक्ति किसने दी?’ इसके बाद वरिष्ठ सरकारी अधिवक्ता ने निर्देश प्राप्त करने के लिए और समय देने का अनुरोध किया, जिसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 13 दिसंबर तक के लिए मुल्तवी कर दिया है।
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