तारिक़ आज़मी
26 नवम्बर की रात लोगो के ज़ेहन में आज भी ताज़ा है जब आतंकी घटना के कारण पूरा देश दहशतजदा हो गया था। इस बड़ी आतंकी घटना के 12 साल बाद एक आतंक का खात्मा वाराणसी पुलिस ने किया था रोशन गुप्ता उर्फ़ बाबु उर्फ़ किट्टू से मुठभेड़ में। तत्कालीन वाराणसी क्राइम ब्रांच प्रभारी अश्वनी पाण्डेय और जैतपुरा एसएचओ शशिभूषण राय की टीम से हुई मुठभेड़ में खौफ का दूसरा नाम बने रोशन गुप्ता उर्फ़ बाबु उर्फ़ किट्टू को परलोक की सैर करवा दिया था।
कहा से उभरा रोशन गुप्ता किट्टू
एक समय था जब आतंक का दूसरा नाम शहर और आसपास के लिए सनी सिंह बना हुआ था। जौनपुर जिले के केराकत थाना क्षेत्र के नाऊपुर गांव के निवासी अशोक सिंह उर्फ विजय सिंह टाइगर का पुत्र रोहित सिंह उर्फ सनी सिंह अपराध जगत में एक आतंक का नाम बनकर उभरा था। महज़ 27 साल की उम्र में मारे जाने से पहले इस आया राम, गया राम की जरायम दुनिया में सनी सिंह ने अपना खौफ पैदा कर रखा था। उसके दुर्दांत होने का सबसे बड़ा उदहारण था फूलपुर निवासी पेट्रोल पम्प संचालक और तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के रिश्तेदार अरविन्द सिंह की हत्या। इस हत्या के बाद ही वह पुरे प्रदेश की पुलिस के रडार पर आ गया।
नाउपुर से वैसे तो कई दुर्दांत निकल कर सामने आये है जिसमे सबसे बड़ा नाम बीकेडी है। पुलिस सूत्रों की माने तो बीकेडी का पूरा बचपन और जवानी नाऊपुर में ही गुजरी है। बहरहाल, नाऊपुर से निकल कर सूत्रों की माने तो सनी सिह ने अपना अड्डा वाराणसी का पियरी और आसपास का इलाका बनाया था। सनी सिह तो एनकाउंटर में मारा गया मगर अपना गैंग छोड़ कर गया। वही क्षेत्र के कुछ युवक सनी सिंह के राह पर चलने को आतुर हो गया। सनी सिंह के मरने के बाद गैंग लोगो को लगा ठंडा हो गया। मगर सनी सिंह का एक चेला जेल में बैठ कर खुद के बाहर निकलने का इंतज़ार देख रहा था। वो चेला था रोशन गुप्ता उर्फ़ किट्टू उर्फ़ बाबु।
पियरी निवासी बाबू गुप्ता उर्फ़ किट्टू जेल से बाहर आते ही गैंग की कमान खुद संभाल लेता है। मगर गैंग कमज़ोर हो चुका था। गैंग लीडर के मरने के बाद हमेशा रहा है कि गैंग कमज़ोर हुआ है। दिल-ओ-दिमाग में मुन्ना बजरंगी जैसा सुपारी किलर बनने की तमन्ना पाले किट्टू ने जेल से निकलने के बाद गैंग को लीड करना शुरू कर दिया। कमज़ोर पड़ चुके गैंग को दुबारा संजीवनी देने के लिए किट्टू को एक बड़े नामा की ज़रूरत थी। शुरू से ही मनबढ़ किस्म का इंसान रहा किट्टू रईस बनारसी जैसे अपराधी की शरण हासिल कर बैठा। इस दरमियान रईस बनारसी और राकेश अग्रहरी आपसी मुठभेड़ में मारे जाते है। जिसमे रोशन गुप्ता उर्फ़ किट्टू का भी नाम सामने आया था। पुलिस सूत्रों की माने तो 2017 में अपनी गिरफ़्तारी के बाद किट्टू ने खुद अपना जरायम कबुल करते हुवे पुलिस को पूरी कहानी बताई थी।
रोशन गुप्ता किट्टू उर्फ़ बाबु ने 15-16 नवम्बर 2020 को जब उम्र महज़ 28 साल थी ने नाम 34 अपराध दर्ज हुआ और उसने पियरी क्षेत्र निवासी एक स्वर्ण कारोबारी से रंगदारी माँगा था। इस घटना का सीसीटीवी फुटेज न केवल सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था बल्कि पुलिस की जमकर किरकिरी भी होने लगी थी। इस मामले में तत्कालीन एसएसपी अमित पाठक ने टीम बना कर किट्टू पर शिकंजा कसने का निर्देश जारी किया था। सभी टीम की मानिटरिंग खुद एसएसपी अमित पाठक के द्वारा किया जा रहा था।
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