आदिल अहमद
डेस्क: दुनिया के अलग-अलग देशों में कोरोना के मामले बढ़ाने वाले कई वेरिएंट की भारत में भी मौजूदगी मिली है। यह ऐसे समय है जब भारत में सार्वजनिक समारोहों या पर्यटन स्थलों के लिए कोई कोविड-19 प्रोटोकॉल लागू नहीं है। कोविड नेशनल टास्क फोर्स की बैठक भी अप्रैल महीने से अब तक नहीं हुई है। इसके कई सदस्य रिटायर हो चुके हैं। साल 2020 में टास्क फोर्स की 108 मीटिंग, 2021 में 44 और इस साल केवल 7 बैठक हुईं।
स्वास्थ मंत्रालय के आकडे बताते है कि वर्ष 2022 के सितंबर से दिसंबर तक के जीनोम सीक्वेंसिंग के आकड़ो के मुताबिक, BA-5 जो जीनोम सीक्वेंसिंग में 26% सैंपल में आ रहा था अब बढ़कर 38% हो गया है। BA-5 का ही सब-लिनएज BF-7 है। जिसके चार मामलों की भारत में अब तक पुष्टि हो चुकी है। इसी वेरिएंट की वजह से चीन में तबाही मची हुई है। जिसके कारण चीन में त्राहि त्राहि की स्थिति बनी हुई है। वही दूसरी तरफ BQ.1.1 वेरिएंट जो जीनोम सीक्वेंसिंग में 27% सैंपल में पाया जा रहा था, अब बढ़कर 33% हो गया। BA.5 और BQ.1.1 को लेकर भारत की चिंता बढ़ते फीसद को लेकर बढ़ी है। BA.4.6 की मौजूदगी जीनोम सीक्वेंसिंग में 2.3% है। XBB वेरिएंट 3.8 फीसदी, BA.2.75 करीब 7 फीसदी ट्रेस हुआ है। CH.1.1 के 16 मामलों की पुष्टि महाराष्ट्र में और 1 गुजरात में हुई है।
नवंबर महीने में 1500 और दिसंबर के पहले हफ्ते में 500 और दिसंबर के दूसरे हफ्ते में 394 सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग की गई है। INSACOG ने अब तक कोरोना के शुरुआत से 540 के करीब वेरिएंट को ट्रैक किया है। बताते चले कि INSACOG भारत में कोविड के विभिन्न प्रकारों का अध्ययन और निगरानी करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत काम करता है।
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