तारिक़ आज़मी
डेस्क: शादी में नाचते-नाचते फूफा की मौत हो गई। बस चलाते हुए ड्राइवर की हार्ट अटैक से मौत हो गई। जिम ट्रेनर की हार्ट अटैक से मौत हो गई। शादी की खुशियाँ अचानक उस समय मातम में बदल गई जब एक युवती की अपनी शादी में ही अचानक हार्ट अटैक आने से मौत हो गई। गरबा करते हुवे नवजवान की मौत हो गई। राम लीला में मंच पर खड़े कलाकार की अचानक हार्ट अटैक आने से मौत हो गई।
चिकित्सक इस पर कुछ बोलने को तैयार ही नही है। किसी से अगर बात करे तो बात यही निकल कर सामने आती है कि एक अध्यन की ज़रूरत है। अब समझ में नही आता कि आखिर अध्यन कब और कैसे होगा और कौन करेगा। चिकित्सा जगत खामोश है। गली नुक्कड़ की सियासत ने इसकी ज़िम्मेदारी कई जगह देना शुरू कर दिया है। मगर माकूल जवाब किसी के पास नही है कि आखिर ये अचानक कार्डिक अरेस्ट के केस अपने भारत में कैसे बढ़ रहे है और क्या प्रिकर्षन की ज़रूरत है।
इस सम्बन्ध में विश्व विख्यात चिकित्सक डॉ विजय नाथ मिश्रा से हमने फोन पर बात कर उनका नजरिया चाहा तो उन्होंने बताया कि “ऐसा नही है कि पहले अचानक की मौते होती नही थी। बस टेक्नालाजी बढ़ जाने से हम डॉक्यूमेंटेशन बढिया कर ले रहे है। जिससे इन अचानक की मौतों को लोग जान और देख ले रहे है। कुछ लोग वैसिनेशन को इसका दोष दे रहे है जबकि इस पर कोई रिसर्च तो हुई नही है। जिम में मौतों का सिलसिला अचानक होना कोई नया नही है। लोग एक ही दिन में शरीर बनाने की सोचने लगते है और शरीरिक कसरत, योग से लेकर डाईट तक कंट्रोल करने लगते है। जिससे कार्डिक अरेस्ट की संभावनाए बढ़ जाती है। बेशक एक रिसर्च की आवश्यकता है। मगर तब तक इसका दोषारोपण करना सही नही होगा।”
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