ए0 जावेद
डेस्क: नगर निकाय चुनाव को लेकर चल रहे हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में आज फैसला आ जहा है। अदालत ने सरकार की ओबीसी आरक्षण को लेकर किसी भी दलील को मानने से इनकार करते हुवे हुक्म दिया है कि फ़ौरन चुनाव करवाया जाए और ओबीसी आरक्षण को रद्द कर दिया है। अदालात के इस फैसले के बाद नगर निकाय चुनाव को लेकर सरगर्मियां अचानक जो ठंडी पड़ी थी दुबारा तेज़ हो गई है।
बताते चले कि इस प्रकरण में याचिकाकर्ता ने कहा था कि निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण एक प्रकार का राजनीतिक आरक्षण है। इसका सामाजिक, आर्थिक अथवा शैक्षिक पिछड़ेपन से कोई लेना देना नहीं है। ऐसे में ओबीसी आरक्षण तय किए जाने से पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था के तहत डेडिकेटेड कमेटी द्वारा ट्रिपल टेस्ट कराना अनिवार्य है।
इस यचिका पर राज्य सरकार ने अपना जवाब दाखिल कर हलफनामे में कहा था कि स्थानीय निकाय चुनाव मामले में 2017 में हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए। सरकार ने कहा है कि इसी सर्वे को ट्रिपल टेस्ट माना जाए। सरकार ने ये भी कहा था कि ट्रांसजेंडर्स को चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता।सुनवाई में हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि किन प्रावधानों के तहत निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति की गई है? इस पर सरकार ने कहा कि 5 दिसंबर 2011 के हाईकोर्ट के फैसले के तहत इसका प्रावधान है।
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