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नगर निगम के नए आरक्षण पर पढ़े तारिक आज़मी की मोरबतियाँ और मौज ले: आसिफ मियाँ गावे लगे कि “दिल के अरमां आंसुओ में बह गए….!”

तारिक आज़मी

नगर निकायों के चुनाव सर पर है। कल्लन च तो हमसे बड़ा खुश होकर कह रहे थे कि “गरीबो की थाली में पुलाव आ गया, देखा गुरु हमरे शहर में चुनाव आ गया।” इन निकाय चुनावो की जितनी जोर शोर से तैयारी स्थानीय प्रशासन कर रहा है, उससे कही ज्यादा जोरो शोर से समर्थक और भावी प्रत्याशियों ने अपनी तैयारी शुरू कर दिया है। परिसीमन आया तो काफी प्रत्याशी “इत्ता बड़ा वार्ड…….!” कह कर धाराशाही हो गए थे। उसके बाद आया आरक्षण। जिसके अनुरूप लोग गोटियाँ बैठाने लगे थे।

इस दरमियान सभी पार्टी के तरफ से आवेदन भी मांगे गए। लोगो ने बढ़ चढ़ कर आवेदन किए और चर्चा का केंद्र रहा मुख्य वार्ड “आदिविशेश्वर” जो कभी बनिया वार्ड के नाम से जाना जाता रहा। परिसीमन के पहले तो बहुत से दावेदार थे। मगर परिसीमन “मिनी सदन” का “मिनी विधानसभा” जैसा होने के बाद तो बात “गडबडेशन” जैसे हो गयी और भीड़ कम होना शुरू हो गई। सियासत की नई लकीरे खीचने लगी। परिसीमन और आरक्षण के बाद सभी जोड़ तोड़ शुरू हुआ। बड़ा सियासी अखाडा बना “आदिविशेश्वर” वार्ड कई सियासी योद्धाओ को आवाज़ दे रहा था। यहाँ सबसे अधिक डिमांड थी सपा के टिकट की।

सपा के टिकट की दावेदारी करने के लिए होड़ मची हुई थी। कई ने अरमान पाल लिया। दलबदल भी शुरू हुआ। सभी ने जोड़ तोड़ भी शुरू कर दिया। कई जगह तो दावा होने लग गया कि टिकट फाइनल। कही सेमी फाइनल तो कही फाइनल के दौर में सियासी जोड़ तोड़ शुरू हो गई थी। किस गली का वोट कौन दिलवाएगा और किस गली का वोट किसके पाले जाएगा। जातिगत समीकरण भी सेट होने शुरू हो गये और किस बिरादरी का वोट किसके ज़रिये निकल जाएगा इसका जुगाड़ बनाने में लोग लगे हुवे थे।

सबसे सियासत का खेला तो कमाल का हुआ कि एक पार्टी छोड़ कर दूसरी पार्टी में आने वाले लोग टिकट के लिए पैरवी कर रहे थे और करवा रहे थे। टिकट तो ऐसे दावेदारी हो रही थी कि सीधे फ्लाइट से आ रहा हो। हमारे मिस्टर भाई तो कह दिए कि “जिसको टिकट न मिले, मुझसे संपर्क करे, फ्लाइट से लेकर ट्रेन और टोटो तक का टिकट दे दूंगा।” लल्लू चा पूछींन भी का हो मिस्टर “नगर निगम का टिकट मिलेगा का ?” मिस्टर भाई ने कहा कि “हाँ टोटो का मिलेगा मगर रिज़र्व टोटो का। 160 रुपया लगेगा टोटो रिसर्व करने का।” बेचारे लल्लू च चालिसे रुपैया लेकर आये रहे। फरिद्वा भी मौज लेवे लगा कि “लल्लू च 35 रुपैया खिला पिला दो और हम अपनी स्कूटी से लेकर चलते है नगर निगम घुमा लाते है।”

अब बताओ ऐसा मज़ाक नही करना चाहिए। दुई हज़ार खर्चा हो गया लोग को बताने में कि टिकट पक्का है। दमदार है। अमा हम तो कहते है मिस्टर भाई से कह देते तो ऊ 500 रुपईया में कत्तो का टिकट ट्रेन का दे दिए होते। मगर लोग हमरी मानते ही न है। खैर का कहे। मगर ई सब गड़बड़ बात हो गई जब कल रात को ही पता चला कि “आदिविशेश्वर” यानी बेनिया वार्ड महिला हेतु सुरक्षित हो गया। हाय रे…….! करेजवा पर चक्कू चला दिहिन भईया……! आसिफ के जईसही पता चला कि ई हुई गवा तो गाना गावे लगे कि “हाय…….! दिल के अरमा आसुओ में बह गए। कितना सोचा था कितना समझा था। मगर उफ़ ये मुकद्दर का पडोसी किस्मत खान ने धोखा दे दिया।

हम तो कह दिया भाई काहे चिंता करत हो लोगन। पहिले नारा लगावे का सोचे रहे कि “नगर निगम में अबकी भईया, फलनवा भईया, ढिमकनवा भईया।” अब चिल्लाना “भौजी भौजी, भौजी भौजी। जोर से बोलो भौजी।” अमा देखा कऊनो इंटेशन नाही है। बस अईसही मौज लेने के लिए लिख दिया। पढो और मौज लो। वैसे टिकट लेना है तो मिस्टर भाई से संपर्क करे। सस्ते दामो में बढ़िया टिकट। फ़्लैट लेना है तो बिल्डर से संपर्क करे और मौज लेना है तो तारिक आज़मी की मोरबतियाँ पढ़े। वईसे हम फरीद से कह दिया है कि चुनाव लड़ना है तो जाओ फटाफट शादी करो और निकाह होते ही नामांकन करवाओ। मगर का है कि शादी के लिए केहू मिल नही रहा है बढ़िया रिश्ता।

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