तारिक खान
लखनऊ: बीते 18 दिसंबर को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एक बयान जारी किया गया था जिसके अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘ऑस्टिन विश्वविद्यालय’ के साथ एक सहमति-पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह एमओयू वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, पूर्व मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, बुनियादी ढांचे और औद्योगिक विकास के अतिरिक्त मुख्य सचिव अरविंद कुमार की उपस्थिति में हुआ था। इस समझौते के तहत 42 बिलियन डॉलर (लगभग 35 हजार करोड़ रुपये) की लागत से 5 हज़ार एकड़ जमीन पर एक ‘स्मार्ट सिटी ऑफ नॉलेज’ का निर्माण करना है, जिसमें दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों के परिसर स्थित होंगे।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मामले में सरकार पर एक बड़ा आरोप लगाया है कि निवेश का एक पैसा विदेश से नहीं आया है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार से ‘निवेश के नाम पर लोगों को गुमराह नहीं करने’ के लिए कहा है। अखिलेश ने कहा, ‘भाजपा सरकार को बताना चाहिए कि पिछले पूंजी निवेश सम्मेलन में उत्तर प्रदेश में कितना पूंजी का निवेश हुआ और कितनों को रोजगार मिला?”
उन्होंने कहा कि “सच तो यह है कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में धरातल पर एक भी उद्योग नजर नहीं आता। हम श्वेत पत्र की मांग करते हैं।’ उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘यूपी में निवेश लाने के नाम पर मंत्रियों को जनता के पैसों पर विदेश घुमाया जा रहा है और छद्म करार करके झूठा प्रचार किया जा रहा है। भाजपा सरकार ये बताए कि पिछली बार निवेश के जो करार हुए थे, उनका लेखा-जोखा कब देगी या वो भी ‘पंद्रह लाखी जुमला’ के समान खोखले थे।’
सबसे अधिक कांग्रेस ने सरकार को घेरते हुवे सब मामले को गोलमाल करार दे दिया है। यूपी कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा, ‘गोलमाल है भाई सब गोलमाल है! बाबा और साहब के मंत्री हों या अधिकारी, उनकी घपलेबाजी लिए सब जगह एक बराबर है। क्या इंडिया, क्या अमेरिका? वैसे, इस बार इन्वेस्टर्स मीट के नाम पर तो तगड़ा हाथ मारा है। सरकारी खर्च पर घूम भी आए और अपनी कारस्तानी भी अमेरिका तक दिखा दी।’
चारो तरफ से विपक्ष से घिरी सरकार के मंत्री अब डिफेन्स मोड़ में आ गए है। “द हिंदू” से बातचीत में उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री और समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के समय अमेरिका गए प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, ‘एमओयू पर ऑस्टिन कंसल्टिंग ग्रुप के साथ हस्ताक्षर किए गए हैं, न कि ऑस्टिन यूनिवर्सिटी के साथ। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि एमओयू गैर-बाध्यकारी हैं, इसलिए हम प्रतिबद्ध नहीं हैं। एमओयू प्राप्त करने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार आगे बढ़ने से पहले प्रस्ताव को गंभीरता से देखती है।’
इधर, नई दिल्ली में The Wire से कहा है कि विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने एमओयू पर विवाद के बारे में रिपोर्ट देखी थी, लेकिन कहा कि वह प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के परिणामों के लिए जिम्मेदार नहीं और एमओयू पर राज्य सरकार द्वारा ‘सीधे’ बातचीत की गई थी। The Wire ने अपनी रिपोर्ट में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची से बातचीत का हवाला देते हुवे लिखा है कि उन्होंने नई दिल्ली में साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में सवालों के जवाब में कहा, ‘हां, (अमेरिका में) हमारे वाणिज्य दूतावास ने (यूपी सरकार) प्रतिनिधिमंडल का सहयोग किया था, लेकिन एमओयू पर जानकारी के लिए मैं आपको राज्य सरकार से संपर्क करने के लिए कहूंगा।’ इस अन्य प्रश्न पर कि क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अमेरिका यात्रा के लिए मंजूरी मांगी गई थी, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि उन्हें इस अनुरोध की जानकारी नहीं है।
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