तारिक आज़मी (इनपुट: मो0 आरिफ)
आज न काका के चुटकुले होंगे, और न काकी के काका से नोकझोक का ज़िक्र होगा। आज न कल्लन च होंगे और न लल्लू च। आज न आपको हम बनारसी ठेठ लफ्जों में लाल बुझक्कड़ की पहेलियाँ देंगे। न कोई किसी तरह का ताना तरेज़ी होगी। आज बात थोडा साफ़ साफ़ होगी। दिल के जख्मो को आपके सामने ज़ाहिर करने की एक कोशिश होगी। दिल में पड़े छालो को दिखाने की कवायद होगी।
जो वीडियो आप देख रहे है पहले आपको उस वीडियो से रूबरू करवाते चलते है। ये वीडियो हमको हमारे अज़ीज़ आरिफ मियाँ ने भेजा है। उन्होंने जो कुछ हमको बताया उसको सपाट भाषा में आपके सामने बयान कर देते है कि वीडियो प्रयागराज जंक्शन के प्लेटफार्म नम्बर 8 का हैं। जहाँ प्लेटफार्म में खड़ी मालगाड़ी को पार करते वक्त हाईटेंशन तार की चपेट में आकर एक शख्स गंभीर रूप से झुलस गया। शख्स की शिनाख्त झारखंड निवासी कन्हैया के रूप में हुई है। प्लेटफार्म नम्बर 8 और 9 के बीच खड़ी मालगाड़ी पर चढ़ कर वह पार करने की बेवकूफी भरी कोशिश कर रहा था, इसी दौरान उसे करंट लग गया। करंट लगते ही वो मालगाड़ी से नीचे गिर गया। जब लोग वहां से गुजरे, तो उन्होंने कन्हैया को नीचे पर पड़ा हुआ देखा। उसका शरीर आधा बुरी तरह झुलस गया और पूरा काला पड़ गया था।
इसकी जानकारी लोगो ने जीआरपी को दिया। वैसे मौके पर तो रेल विभाग के कर्मचारी और टीसी तथा टीटी साहिबान भी थे। मगर सुचना शायद किसी जनता के द्वारा दिया गया। सूचना पर जीआरपी पुलिस पहुंची, लेकिन करंट से झुलसे व्यक्ति की कोई भी मदद नहीं किया। आरिफ मियाँ ने बताया कि एम्बुलेस को फोन जाने के बाद एम्बुलेंस आने में वक्त लग रहा था। शायद जाम की वजह से ऐसा हुआ हो। वह घंटों प्लेटफार्म पर तड़पता रहा। घंटों के बाद रेलवे अस्पताल से कर्मचारी तो आए लेकिन उन्होंने भी हाथ नहीं लगाया। झुलसे हुए व्यक्ति के बगल में स्ट्रेचर रख दिया गया। अब जो घायल है उसके सामने जान के लाले पड़े हुवे थे। मौके पर खड़े लोग उसको पुकार कर कहते सुने जा रहे थे कि पलट कर स्ट्रेचर पर लेट जाओ। कहते है कि मरता क्या न करता तो वह बुरी तरह से झुलसा व्यक्ति किसी तरह पलटी खाया। वह खुद ही पलटते हुए स्ट्रेचर पर जाकर लेट गया। तब जाकर स्वास्थ्य कर्मी उसको लेकर अस्पताल गए।
ये सब कुछ आप वीडियो में देख चुके है। आप सोचे जहा ये घायल युवक पड़ा हुआ है वहा पर एक वेंडर की शाप भी है। मौके पर जनता भी खडी हुई है। पुलिस तो है ही आखिर उसको कोरम जो पूरा करना है। रेलवे के कुछ साहब लोग भी मौजूद है। मगर इन सबके बीच से शायद इंसानियत नाम की जो कोई शायद चीज़ होती है वो कही चली गई। या फिर शायद प्लेटफार्म कर इंसानियत ने टिकट नही लिया होगा तो आ नही पाई होगी। मुझको मालूम है कि इसके ऊपर तुरत ही लोगो की सफाई आएगी कि रेलवे ट्रैक से युवक कैसे प्लेटफार्म पर पंहुचा तो मैंने भी आरिफ मियाँ से इस बात को दरियाफ्त किया तो उन्होंने बताया कि कुछ लोगो ने उसको उठा कर प्लेटफार्म पर रखा ताकि किसी ट्रेन के चपेट में न आ जाए वह।
बेशक घायल कन्हैया की यह हरकत बेवकूफी भरी थी कि ट्रेन के ऊपर चढ़ कर उस पार चले जाए। जितनी मेहनत वह चढ़ने में कर रहा था उससे कम मेहनत में वह सीढियों के रास्ते होते हुवे भी जा सकता था। मगर ये वक्त अभी उनको शायद तरीकत सिखाने का तो नही हो सकता है। अगर रब ने उसको हयात बक्शा है तो तरीकत उसको खुद-ब-खुद आ गई है इस दुर्घटना से। अगर सोचना हमको है कि इंसानियत का क्या तकाज़ा होता है। बेशक कुछ भी हो इंसानियत का इन्तेकाल नही होना चाहिए।
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