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प्रदेश में जारी है ठण्ड का कहर, 6 जनवरी तक घने कोहरे की चेतावनी, जाने कहाँ कितना है तापमान

रेहान अहमद

ठण्ड इन दिनों अपना कहर बरपा रहा है। नए साल का आगाज़ ही भयानक ठण्ड से हुआ। शीतलहर जारी है। घने कोहरे ने प्रदेश को अपनी आगोश में ले रखा है। सर्द बर्फीली हवाओ ने गलन बढ़ा दिया है। धुप न निकलने की वजह से ठण्ड का असर ज्यादा है। लोग ठण्ड से काफी परेशान है। लोग ठण्ड से बचाव के लिए गर्म कपड़ो के साथ अलाव का भी सहारा ले रहे है। उत्तर प्रदेश में कोल्ड-डे कंडीशन सक्रिय हैं। आंचलिक मौसम विज्ञान केन्द्र लखनऊ के मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार कोहरे और गलन के बीच फतेहपुर प्रदेश में सबसे ठंडा रहा, यहां न्यूनतम पारा 5 डिग्री रहा, जो कि सामान्य से 4 डिग्री कम था। कानपुर नगर में पारा 5.4 डिग्री रहा, जो कि सामान्य से 3.2 डिग्री कम दर्ज हुआ। कानपुर नगर का अधिकतम तापमान 13.4 डिग्री दर्ज हुआ, ये सामान्य से लगभग 9.1 डिग्री कम रहा। प्रदेश के ज्यादातर शहरों में दिन का अधिकतम तापमान सामान्य से कम ही रहा।

बताते चले कि मौसम विज्ञान केंद्र ने 6 जनवरी तक प्रदेश के तमाम हिस्सों में घने से अत्यधिक घने कोहरे की चेतावनी जारी की है। कौशांबी, प्रयागराज, प्रतापगढ़, मिर्जापुर, चंदौली, वाराणसी, जौनपुर, गोरखपुर, महाराजगंज, गोंडा, बलरामपुर, मेरठ, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, लखीमपुर खीरी, सिद्धार्थनगर, बस्ती, कुशीनगर व आसपास के इलाकों के लिए अत्यधिक घने कोहरे की चेतावनी जारी की गई है। वहीं बुंदेलखंड के कई जिलों, लखनऊ केआसपास के शहरों, गोरखपुर और वाराणसी के आसपास के शहरों समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई शहरों के लिए कोल्ड-डे की चेतावनी जारी की गई है। इन इलाकों में से कुछ को येलो तो कुछ को ऑरेंज अलर्ट पर रखा गया है।

वही प्रदेश में शीतलहर के दौरान भी डेंगू और मलेरिया के मरीजों के मिलने का सिलसिला जारी है। प्रदेश में अब तक मलेरिया के 3725 और डेंगू के 20,297 मरीज मिल चुके हैं। करीब सप्ताह भर में डेंगू के 119 और मलेरिया के 178 मरीज मिले हैं। चिकित्सा विशेषज्ञ इसे मच्छरों की सहनशीलता बढ़ने के तौर पर देख रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा लिए जा रहे सैंपल संख्या के मुताबिक एक हजार सैंपल पर मलेरिया के चार मरीज मिले हैं, जबकि डेंगू के एक से दो मरीज मिल रहे हैं। सामान्य तौर पर कड़ाके की सर्दी में डेंगू और मलेरिया के मरीजों केमिलने का सिलसिला थम जाता है। लेकिन इस वर्ष शीतलहर में भी मरीज मिल रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ0 विकास सिंघल का तर्क है कि मलेरिया का परजीवी शरीर में लंबे समय तक पड़ा रहता है। इस वजह से बिना बारिश वाले सीजन में भी इसकेकेस मिलते रहते हैं।

जहां तक मच्छरों की स्थिति है तो सर्वे के दौरान विभिन्न स्थानों पर मच्छरों की मौजूदगी मिली है। इसे मच्छरों की प्रकृति में बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि अभी इस पर कोई अध्ययन नहीं हुआ है। लेकिन इस साल यह शिकायत मिल रही है कि बिना सीजन भी लोगों के घरों में मच्छर मिल रहे हैं।

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